settings icon
share icon
प्रश्न

यह कथन कहाँ से आया है कि, "वह जी उठा है; वह सचमुच में जी उठा है?

उत्तर


पश्चिम देशों में पाई जाने वाली कलीसिया में यह ईस्टर अर्थात् यीशु के पुनरुत्थान के दिन दिए जाने वाला एक पारम्परिक मसीही अभिवादन स्वयं में विस्मयादिबोधक है कि, "वह जी उठा है!" और इसकी पारम्परिक प्रतिक्रिया, "वह सचमुच में जी उठा है" शब्दों से आती है। ये शब्द कभी कभी एक कलीसिया की शिक्षा के आधार पर एक दूसरे के गालों पर तीन चुम्बन के आदान-प्रदान के साथ आते हैं। बाइबल सम्मत और कैथोलिक कलीसियाओं में, इस अभिवादन को "फसह सम्बन्धी अभिवादन" भी कहा जाता है और यह एक बहुत पुराना रीति-रिवाज है।

यह अभिवादन अन्त में लूका 24:34 के ऊपर आधारित है। कलीसिया के पूरे इतिहास में लैटिन वुल्गात्ता बाइबल (400 ईस्वी सन्) से लेकर ईएसवी अंग्रेजी बाइबल (2001) तक किए गए सभी अनुवादों में इस वचन को लगभग एक जैसा ही अनुवाद किया गया है: "प्रभु सचमुच जी उठा है, और शमौन को दिखाई दिया है!" कलीसिया को यह पता नहीं है, यद्यपि यह कथन सामान्य उपयोग में कैसे आया, इसके बारे में विभिन्न सिद्धान्त हैं।

हम यह तो अवश्य जानते हैं कि, सबसे पहले, यह अभिवादन पश्चिमी कलीसिया की तुलना में पूर्वी और यूनानी साम्राज्य में पाई जाने वाली कलीसियाओं की अनुष्ठान सम्बन्धी विधियों में अधिक प्रचलित था। पूर्वी रूढ़िवादी कलीसिया अर्थात् ईस्टर्न आर्थोडॉक्स चर्च में एक परम्परा यह पाई जाती है कि इस कथन को मरियम मगदलीनी के द्वारा लोकप्रिय बनाया गया था जब उसने रोम में सम्राट तीबुरियुस को "यीशु मसीह जी उठा है" के शब्दों के साथ सम्बोधित किया।

इस सम्बोधन का उपयोग एक अर्थहीन परम्परा से कहीं अधिक होना चाहिए। शब्द "वह जी उठा है!" हमें ईस्टर अर्थात् पुनरुत्थान के दिन मनाए जाने वाले आनन्ददायी समाचारों का स्मरण दिलाता है, कि यीशु की मृत्यु व्यर्थ नहीं थी, और यह कि उसके पास मृत्यु के ऊपर जय पाने की सामर्थ्य है। "वह जी उठा है!" कहकर हम इस अविश्वसनीय सत्य को एक दूसरे के साथ साझा कर सकते हैं। मसीह का पुनरुत्थान हमें उद्धार और अपने पुनरुत्थान और अनन्त जीवन के लिए आशा प्रदान करता है।

English



हिन्दी के मुख्य पृष्ठ पर वापस जाइए

यह कथन कहाँ से आया है कि, "वह जी उठा है; वह सचमुच में जी उठा है?
© Copyright Got Questions Ministries