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प्रश्न

इसका क्या अर्थ है कि यीशु मसीह ने मृत्यु पर जय प्राप्त की है?

उत्तर


सबसे स्पष्ट रूप से, मसीह के द्वारा मृत्यु के ऊपर जय प्राप्त करने वाले कथन उसके पुनरुत्थान को सन्दर्भित करता है। वह जो मर गया था वह अब जीवित है (प्रकाशितवाक्य 1:18 को देखें)। ये शब्द — मसीह ने मृत्यु पर जय प्राप्त की है — मसीहियत और अन्य सभी धर्मों के बीच सबसे महत्वपूर्ण भिन्नता को परिभाषित करते हैं। अपने स्वयं के बारे में अपने दावे और उस दावे के बारे में भविष्यद्वाणी के ऊपर दी गई अपनी शिक्षा के आधार पर (यूहन्ना 2:18–22; मत्ती 27:40), और इसके बाद उस प्रतिज्ञा को पूरा करने के आधार पर (लूका 24:6), किसी भी अन्य धर्मगुरु ने कभी भी अपनी मृत्यु और पुनरुत्थान की भविष्यद्वाणी को पूरा नहीं किया है (मत्ती 16:21)।

यीशु का पुनरुत्थान इतिहास में पहली बार घटित हुई कोई ऐसी घटना थी कि कोई व्यक्ति मृतकों में से जी उठा था जो फिर कभी नहीं मरा। अन्य जो पुनर्जीवित हुए थे, अन्त में दूसरी बार फिर मर गए (देखें 1 राजा 17:17–24; 2 राजा 4:32–37; मरकुस 5:39–42; यूहन्ना 11:38–44)। यीशु का पुनरुत्थान मृत्यु की सच्ची और पूर्ण पराजय थी। परमेश्‍वर के पवित्र पुत्र के रूप में, यीशु ने एक बार और सदैव के लिए मृत्यु को पराजित कर दिया था, जैसा कि पतरस ने व्याख्या की है कि: "क्योंकि यह अनहोना था कि वह उसके वश में रहता" (प्रेरितों के काम 2:24)। विजयी, जी उठे मसीह ने कहा कि, "मैं मर गया था, और अब देख मैं युगानुयुग जीवता हूँ; और मृत्यु और अधोलोक की कुंजियाँ मेरे ही पास हैं" (प्रकाशितवाक्य 1:18)। कुँजी अधिकार का प्रतीक होती है। यीशु के पास मृत्यु के ऊपर प्रभुता है। मसीह की मृत्यु के ऊपर जय स्थायी और शाश्वतकालीन है।

मसीह ने मृत्यु के ऊपर जय प्राप्त की क्योंकि वह पाप रहित था। अदन की वाटिका में मानव जाति के ऊपर शाप, उनके अपने पाप के कारण आया, जिसमें स्पष्ट रूप से कहा गया था कि: "तू अवश्य मर जाएगा" (उत्पत्ति 2:17)। तब से हमने रोमियों 6:23 की सच्चाई को देखा है कि, "पाप की मजदूरी मृत्यु है।" परन्तु यीशु मसीह में कोई पाप नहीं था (1 पतरस 2:22); इसलिए, मृत्यु की उस पर कोई सामर्थ्य नहीं थी। यीशु की मृत्यु हमारे पाप के लिए एक स्वैच्छिक बलिदान था, और उसकी पापहीन पूर्णता को देखते हुए, उसका जी उठना तार्किक रूप से हुआ। "मैं अपना प्राण देता हूँ" यीशु ने कहा है कि, "उसे फिर ले लूँ" (यूहन्ना 10:17)।

यह सच्चाई कि मसीह ने मृत्यु के ऊपर जय प्राप्त की है, हमारे लिए अनन्तकालीन परिणाम को लाती है। शुभ सन्देश — सुसमाचार — मृत्यु के ऊपर मसीह की जय में आधारित है। पुनरुत्थान के बिना, कोई सुसमाचार नहीं है; वास्तव में, हमारे लिए कोई आशा ही नहीं है: "और यदि मसीह नहीं जी उठा, तो तुम्हारा विश्‍वास व्यर्थ है, और तुम अब तक अपने पापों में फँसे हो" (1 कुरिन्थियों 15:17)। परन्तु मसीह जी उठा है, और, उसके साथ साथी विजेता के रूप में, मसीही विश्वासी "मृत्यु से पार होकर जीवन में पहुँचे हैं" (1 यूहन्ना 3:14)। मसीह ने "मृत्यु का नाश किया और जीवन और अमरता को उस सुसमाचार के द्वारा प्रकाशमान कर दिया" है (2 तीमुथियुस 1:10)।

यह सच्चाई कि मसीह ने मृत्यु के ऊपर जय प्राप्त की है, का अर्थ यह है कि विश्वासियों को भी मृत्यु के ऊपर जय प्रदान की गई है। हम ''उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं'' (रोमियों 8:37)। मसीह "जो सो गए हैं उनमें वह पहला फल हुआ" (1 कुरिन्थियों 15:20), जिसका अर्थ है कि यीशु का पुनरुत्थान कई लोगों के पुनरुत्थान में पहला है: मसीही विश्वासी जो "सो गए हैं" (मर गए) वैसे ही पुनर्जीवित हो जाएंगे। यीशु ने अपने अनुयायियों से प्रतिज्ञा की थी कि, "मैं जीवित हूँ, तुम भी जीवित रहोगे" (यूहन्ना 14:19)।

यह सच्चाई कि मसीह ने मृत्यु के ऊपर जय प्राप्त की है, भविष्यद्वाणी की पूर्ति है। भजनकार ने भविष्यद्वाणी की थी कि प्रतिज्ञा किया हुआ मसीह मृत्यु के ऊपर जय को प्राप्त करेगा: "क्योंकि तू मेरे प्राण को अधोलोक में न छोड़ेगा, न अपने पवित्र भक्‍त को सड़ने देगा" (भजन संहिता 16:10)। अन्य भविष्यद्वक्ताओं ने परमेश्वर के लोगों को इस आशा से भरा था कि परमेश्वर एक दिन मृत्यु को खत्म कर देगा: "वह मृत्यु का सदा के लिये नाश करेगा, और प्रभु यहोवा सभों के मुख पर से आँसू पोंछ डालेगा" (यशायाह 25:8), और "मैं उसको अधोलोक के वश से छुड़ा लूँगा और मृत्यु से उसको छुटकारा दूँगा। हे मृत्यु, तेरी मारने की शक्‍ति कहाँ रही? हे अधोलोक, तेरी नष्‍ट करने की शक्‍ति कहाँ रही?" (होशे 13:14; की तुलना 1 कुरिन्थियों 15:54-55 से करें)।

मृत्यु हमारे विरूद्ध शैतान का सबसे सामर्थी, भयानक हथियार है। क्रूस पर, मसीह ने हम असहाय पापियों की ओर से शैतान को पराजित कर दिया: "अब इस संसार का न्याय होता है, अब इस संसार का सरदार निकाल दिया जाएगा" (यूहन्ना 12:31; की तुलना कुलुस्सियों 2:15 से करें)। खाली कब्र के साथ, मसीह ने शैतान के सबसे सामर्थी हथियार, मृत्यु को नष्ट कर दिया। हम पर दोष लगाने वाला, शैतान अब मसीहियों की निन्दा करने के लिए शक्तिहीन है। हम अपने गंतव्य को उसके साथ साझा नहीं करेंगे (प्रकाशितवाक्य 12:9–11; 20:10, 14)।

जब मसीह ने हमारे लिए मृत्यु के ऊपर जय को प्राप्त किया, तो उसने "मृत्यु के डंक" पाप, को हटा दिया (1 कुरिन्थियों 15:56) — अर्थात्, परमेश्वर हमारा न्याय हमारे पापों के अनुसार नहीं करेगा; इसकी अपेक्षा, हम मसीह की सिद्ध धार्मिकता को धारण करते हुए परमेश्वर के सामने खड़े होंगे। इसीलिए मसीह में विश्वासियों को "दूसरी मृत्यु से हानि न पहुँचेगी" (प्रकाशितवाक्य 2:11), और "ऐसों पर दूसरी मृत्यु का कुछ भी अधिकार नहीं" होगा (प्रकाशितवाक्य 20:6)। मसीह ने पाप के लिए हमें दिए जाने वाले मृत्यु दण्ड को प्राप्त किया है और, उसकी मृत्यु के माध्यम से, मृत्यु के ऊपर जय को प्राप्त किया है (प्रकाशितवाक्य 20:14)।

विश्वासी "उसके द्वारा जिसने हम से प्रेम किया है, जयवन्त से भी बढ़कर हैं" (रोमियों 8:37)। मसीह में परमेश्वर के प्रेम से हमें कौन अलग कर सकता है? "न तो मृत्यु और न ही जीवन" (वचन 38)। मसीह ने मृत्यु के ऊपर जय को प्राप्त कर लिया है, और मसीही विश्वासी यीशु के शब्दों के ऊपर दृढ़ता से खड़े हैं: "पुनरुत्थान और जीवन मैं ही हूँ; जो कोई मुझ पर विश्‍वास करता है वह यदि मर भी जाए तौभी जीएगा, और जो कोई जीवित है और मुझ पर विश्‍वास करता है, वह अनन्तकाल तक न मरेगा" (यूहन्ना 11:25-26)।

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इसका क्या अर्थ है कि यीशु मसीह ने मृत्यु पर जय प्राप्त की है?
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