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प्रश्न

देहधारण का क्या अर्थ है? यीशु किस प्रकार देहधारी परमेश्वर हुआ?

उत्तर


जब हम यह कहते हैं कि यीशु मसीह "देहधारी" परमेश्वर है, तो हमारा अर्थ यह होता है कि परमेश्वर का पुत्र शरीर से, भौतिक रूप से है (यूहन्ना 1:14)। यद्यपि, जब मरियम, यीशु की सांसारिक माँ के गर्भ में यह घटना घटित हुई, तब भी इसने उसे ईश्वर बने रहने से नहीं रोका। यद्यपि यीशु पूरी तरह से मनुष्य बन गया था (इब्रानियों 2:17), तथापि उसने परमेश्वर के रूप में अपनी उपाधि को बनाए रखा (यूहन्ना 1:1, 14)। यीशु एक ही समय में मनुष्य और ईश्वर दोनों के रूप में कैसे योग्य हो सकता है, यह मसीह विश्वास के महान् रहस्यों में से एक है, परन्तु तौभी यह बाइबल सम्मत विश्वासियों के लिए जाँच का एक विषय है (1 यूहन्ना 4:2; 2 यूहन्ना 1:7)। यीशु के दो भिन्न स्वभाव, ईश्वरीय और मानवीय हैं। "मेरा विश्‍वास करो कि मैं पिता में हूँ और पिता मुझ में है" (यूहन्ना 14:11)।

बाइबल स्पष्ट रूप से पुराने नियम की कई भविष्यद्वाणियों के पूरे होने होने (यशायाह 7:14; भजन संहिता 2:7), उसके शाश्वतकालीन अस्तित्व के होने (यूहन्ना 1:1-3; यूहन्ना 8:58), उसका आश्चर्यजनक रीति से कुंवारी से जन्म लेने (लूका 1:26–31), उसके आश्चर्यकर्म (मत्ती 9:24-25), पाप को क्षमा करने का उसके अधिकार (मत्ती 9:6), उसके द्वारा आराधना को स्वीकार करने (मत्ती 14:33), भविष्य के लिए भविष्यद्वाणी करने की उसकी क्षमता ( मत्ती 24:1-2), और मरे हुओं में से उसके पुनरुत्थान (लूका 24:36-39) के द्वारा मसीह के ईश्वरत्व की शिक्षा देती है। इब्रानियों के लेखक ने हमें बताया कि यीशु स्वर्गदूतों से भी अधिक श्रेष्ठ है (इब्रानियों 1:4-5) और स्वर्गदूतों को उसकी आराधना करनी है (इब्रानियों 1:6)।

बाइबल यह भी सिखाती है कि देहधारण — में यीशु मानवीय शरीर को धारण करके पूरी तरह से मनुष्य बन गया। यीशु गर्भ में आया और उसका जन्म हुआ था (लूका 2:7), उसने सामान्य आयु में बड़े होने का अनुभव किया (लूका 2:40), उस में भौतिक शारीरिक (यूहन्ना 19:28) और मानवीय भावनाओं की आवश्यकताएँ थीं (मत्ती 26:38), उसने शिक्षा पाई (लूका 2:52), उसकी शारीरिक मृत्यु हुई (लूका 23:46), और वह एक भौतिक शरीर के साथ पुनर्जीवित हुआ (लूका 24:39)। पाप को छोड़कर यीशु हर तरह से मानव था; उसने पूरी तरह से एक पाप रहित जीवन को व्यतीत किया (इब्रानियों 4:15)।

जब मसीह ने एक मनुष्य का रूप धारण किया, तो उसका स्वभाव नहीं बदला, परन्तु उसकी स्थिति बदल गई। यीशु, ने आत्मा के रूप में परमेश्वर के अपने मूल स्वभाव में, अपनी महिमा और विशेषाधिकारों को अपने से अलग रखते हुए स्वयं को नीचा कर लिया था (फिलिप्पियों 2:6–8)। परमेश्वर को परमेश्वर होने से कभी भी नहीं रोका जा सकता, क्योंकि वह अपरिवर्तनीय (इब्रानियों 13:8) और अनन्त है (प्रकाशितवाक्य 1:8)। यदि यीशु एक सेकेण्ड के आधे हिस्से के लिए भी पूरी तरह से परमेश्वर होने से रुक जाए, तो सभी जीवन मर जाएंगे (प्रेरितों के काम 17:28 को देखें)। देहधारण के धर्मसिद्धान्त में कहा गया है कि यीशु पूरी तरह से परमेश्वर रहते हुए भी, पूरी तरह से मनुष्य बना।

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देहधारण का क्या अर्थ है? यीशु किस प्रकार देहधारी परमेश्वर हुआ?
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