प्रश्न
इसका क्या अर्थ है कि यीशु हमारा मध्यस्थक है?
उत्तर
एक मध्यस्थक वह होता है, जो मध्यस्थता करता है, अर्थात्, जो किसी विवाद का निपटारा करने के लिए विरोधी समूहों के मध्य काम करने के लिए मध्यस्थक के रूप में कार्य करता है। एक मध्यस्थक विवाद के समाधान को करने के लक्ष्य के साथ दो पक्षों के मध्य आ रही असहमति को प्रभावित करने का प्रयास करता है। मनुष्य और परमेश्वर के मध्य केवल एक ही मध्यस्थक है, और वह यीशु मसीह है। इस लेख में, हम देखेंगे कि परमेश्वर का हमारे साथ विवाद क्यों है, क्यों यीशु हमारा मध्यस्थक है, और हम क्यों नष्ट हो जाते हैं, जब हम परमेश्वर के सामने अकेले ही स्वयं का प्रतिनिधित्व करने का प्रयास करते हैं।
पाप के कारण परमेश्वर के साथ हमारा विवाद है। बाइबल में दी हुई परमेश्वर की व्यवस्था में पाप को अपराध (1 यूहन्ना 3:4) और परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह (व्यवस्थाविवरण 9:7; यहोशू 1:18) के रूप में वर्णित किया गया है। परमेश्वर पाप से घृणा करता है, और पाप हमारे और परमेश्वर के मध्य में खड़ा है। "कोई धर्मी नहीं, एक भी नहीं" (रोमियों 3:10)। सभी मनुष्य पाप के कारण पापी होते हैं, जो हमें आदम से विरासत में मिला है, साथ ही साथ पाप जिन्हें हम प्रतिदिन के आधार पर करते हैं। इस पाप के लिए एकमात्र दण्ड मृत्यु है (रोमियों 6:23), न केवल शारीरिक मृत्यु अपितु शाश्वतकालीन मृत्यु (प्रकाशितवाक्य 20:11-15)। पाप के लिए सही दण्ड नरक में बिताए जाने वाला शाश्वतकालीन जीवन है।
हम अपने आप को बचाने के लिए और कुछ भी नहीं कर सकते हैं जो हमारे और परमेश्वर के बीच की मध्यस्थता के लिए पर्याप्त होगा। कोई भी अच्छा काम या व्यवस्था-का-पालन करना हमें पवित्र परमेश्वर के सामने खड़े होने के लिए पर्याप्त रूप से धर्मी नहीं बना सकता है (यशायाह 64:6; रोमियों 3:20; गलतियों 2:16)। एक मध्यस्थक के बिना, हमारा गंतव्य नरक में शाश्वतकाल के लिए ठहरा दिया गया है, क्योंकि हमारे पाप से हमारी मुक्ति होना असम्भव है। तथापि आशा उपलब्ध है! "क्योंकि परमेश्वर एक ही है, और परमेश्वर और मनुष्यों के बीच में भी एक ही बिचवई है, अर्थात् मसीह यीशु जो मनुष्य है" (1 तीमुथियुस 2:5)। यीशु उन लोगों का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्होंने अपने विश्वास को परमेश्वर के अनुग्रह के सिंहासन के सामने खड़े होकर उसमें रखा है। वह हमारे लिए मध्यस्थता करता है, एक बचाव करने वाले अधिवक्ता अर्थात् वकील की तरह जो अपने मुवक्किल के लिए मध्यस्थता करते हुए न्यायाधीश से बात करता है, "श्री मान जी, मेरे मुवक्किल के विरुद्ध लगाए हुए सभी आरोप गलत हैं।" यह हमारे लिए भी सत्य है। किसी दिन हम परमेश्वर का सामना करेंगे, परन्तु हम अपनी ओर से यीशु की मृत्यु के कारण पूरी तरह क्षमा किए हुए पापियों के रूप में ऐसा ही करेंगे। "बचाव करने वाले अधिवक्ता" ने हमारे लिए दण्ड को ले लिया है!
हम इब्रानियों 9:15 में सांत्वना देने वाले इस सत्य के बारे में अधिक प्रमाण को देखते हैं: "इसी कारण वह नई वाचा का मध्यस्थ है, ताकि उसकी मृत्यु के द्वारा जो पहली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये हुई है, बुलाए हुए लोग प्रतिज्ञा के अनुसार अनन्त मीरास को प्राप्त करें।" ऐसा महान मध्यस्थ के कारण है कि हम स्वयं मसीह की धार्मिकता को पहने हुए परमेश्वर के सामने खड़े हो सकते हैं। क्रूस पर यीशु ने अपनी धार्मिकता को देने के लिए उसे हमारे पाप से परिवर्तित कर लिया (2 कुरिन्थियों 5:21)। उसकी मध्यस्थता ही उद्धार का एकमात्र साधन है।
English
इसका क्या अर्थ है कि यीशु हमारा मध्यस्थक है?