settings icon
share icon
प्रश्न

यदि यहूदी अनुयायी पशु बलिदान नहीं देते हैं, तो वे कैसे विश्वास करते हैं कि वे परमेश्वर से क्षमा प्राप्त कर सकते हैं?

उत्तर


पशुओं के बलिदान का यहूदी अभ्यास ईसा पूर्व 70 में समाप्त हो गया था, जिस दिन रोम के वासियों ने यरूशलेम में मन्दिर को नष्ट कर दिया था। मन्दिर के नष्ट हो जाने के साथ ही, मूसा की व्यवस्था के अनुसार बलिदान चढ़ाने के लिए अब कोई स्थान नहीं बचा है (व्यवस्थाविवरण 12:13-14 को देखें)। पुराने नियम में निरन्तर इस विषय के ऊपर बात की गई है कि पाप के प्रायश्चित के लिए बलिदान की आवश्यकता थी (उदाहरण के लिए, निर्गमन 29:36; लैव्यव्यवस्था 4:31; 9:7; 14:19; 15:15; गिनती 15:25)। लहू के बहाए जाने के द्वारा ही वस्तुओं को और लोगों को प्रभु के निमित्त पवित्र किया जाता था (लैव्यव्यवस्था 16:19; की तुलना इब्रानियों 9:22 से करें)।

आज लहू के बलिदान के बिना, यहूदियों के पास उनके पाप का प्रायश्चित करने के लिए और कोई वैध तरीका नहीं है। फसह का पर्व अभी भी, परन्तु बलिदान के बिना मनाया जाता है। योम किप्पुर (प्रायश्चित का दिन) अभी भी उनके पंचांग में पाया जाता है, परन्तु पाप के लिए कभी भी भेंट नहीं चढ़ाई जाती है। मूसा की व्यवस्था की शर्तों अपरिवर्तित रूप में ही पाई जाती हैं, परन्तु यहूदी लोग परमेश्वर के साथ बातों को सही नहीं कर सकते हैं - उन्हें पशु बलिदान के बिना - क्षमा नहीं मिल सकती है।

आधुनिक यहूदी मानते हैं कि पाप की क्षमा पश्चाताप, प्रार्थना और अच्छे कर्मों के माध्यम से प्राप्त की जाती है। वे बलिदान की आवश्यकता को कम करने के लिए होशे 6:6 जैसे वचनों का उपयोग करते हैं: "क्योंकि मैं बलिदान से नहीं, स्थिर प्रेम ही से प्रसन्न होता हूँ, और होमबलियों से अधिक यह चाहता हूँ कि लोग परमेश्‍वर का ज्ञान रखें।" तौभी, लैव्यव्यवस्था 17:11 जैसे वचनों का अनेदखा करना कठिन है, "क्योंकि शरीर का प्राण लहू में रहता है; और उसको मैं ने तुम लोगों को वेदी पर चढ़ाने के लिये दिया है कि तुम्हारे प्राणों के लिये प्रायश्‍चित्त किया जाए; क्योंकि प्राण के कारण लहू ही से प्रायश्‍चित्त होता है।"

सच्चाई तो यह है कि लहू बहाए बिना क्षमा नहीं है (इब्रानियों 9:22)। पुरानी वाचा के पशु बलिदान को यीशु मसीह के द्वारा पाप के लिए दिए जाने वाले सभी बलिदानों के स्थान पर एक ही बार दिए जाने वाले बलिदान के द्वारा हटा दिया गया है। जब यीशु ने नई वाचा को स्थापित किया, वह "पहली वाचा के समय के अपराधों से छुटकारा पाने के लिये" मर गया (इब्रानियों 9:15)।

मसीह के बलिदान के समय वाली पीढ़ी के समय ही, यहूदी मन्दिर नष्ट हो गया था; पशुओं के बलिदान की आवश्यकता अब अस्तित्व में नहीं रही थी, क्योंकि मसीह ने व्यवस्था धार्मिक मांग की आवश्यकताओं को पूरा किया था (मत्ती 5:17)। पशु बलिदान केवल एक पूर्ण बलिदान - परमेश्वर के मेम्ने की प्रतिछाया मात्रा था - जो संसार के पापों को दूर करता है (यूहन्ना 1:29)। मसीह के बलिदान ने सारी मानव जाति, यहूदी और यहूदी दोनों के लिए पाप का ऋण को अदा किया (रोमियों 1:16; इब्रानियों 9:12-15)।

English



हिन्दी के मुख्य पृष्ठ पर वापस जाइए

यदि यहूदी अनुयायी पशु बलिदान नहीं देते हैं, तो वे कैसे विश्वास करते हैं कि वे परमेश्वर से क्षमा प्राप्त कर सकते हैं?
इस पृष्ठ को साझा करें: Facebook icon Twitter icon YouTube icon Pinterest icon Email icon
© Copyright Got Questions Ministries