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प्रश्न

मूसा की व्यवस्था का उद्देश्य क्या है?

उत्तर


मूसा की व्यवस्था विशेष रूप से इस्राएल की जाति को दी गई थी (निर्गमन 19; लैव्यव्यवस्था 26:46; रोमियों 9:4)। यह तीन भागों से मिलकर निर्मित हुई थी: दस आज्ञाएँ, अध्यादेश, और आराधना पद्धति, जिसमें याजकपन, मिलाप का तम्बू, भेंटें और पर्व सम्मिलित थे (निर्गमन 20-40; लैव्यव्यवस्था 1–7; 23)। मूसा की व्यवस्था का उद्देश्य निम्नलिखित बातों को पूरा करना था:

(1) अनन्तकालीन परमेश्‍वर के पवित्र चरित्र को इस्राएली जाति के ऊपर प्रकट करें (लैव्यव्यवस्था 19:2; 20:7-8)।

(2) इस्राएल जाति को अन्य सभी जातियों से पृथक रखें (निर्गमन 19:5)।

(3) मनुष्य के पापी स्वभाव को प्रकट करो (गलतियों 3:19 से तुलना करें)। यद्यपि व्यवस्था अच्छी और पवित्र थी (रोमियों 7:12), परन्तु इसने इस्राएल जाति को उद्धार प्रदान नहीं किया। “क्योंकि व्यवस्था के कामों से कोई प्राणी उसके सामने धर्मी नहीं ठहरेगा, इसलिये कि व्यवस्था के द्वारा पाप की पहिचान होती है”(रोमियों 3:20; की तुलना प्रेरितों के काम 13:38-39 से करें)।

(4) इस्राएल की जाति के प्रभु यहोवा में विश्‍वास रखने वाले लोगों के लिए बलिदान/भेटों (लैव्यव्यवस्था 1-7) के द्वारा क्षमा प्रदान करे।

(5) वार्षिक पर्वों के माध्यम से विश्‍वास करने वाले समाज के लिए आराधना के तरीके को प्रदान करें (लैव्यव्यवस्था 23)।

(6) जाति के शारीरिक और आत्मिक स्वास्थ्य के लिए परमेश्‍वर की दिशा को प्रदान करें (निर्गमन 21-23; व्यवस्थाविवरण 6:4-19; भजन संहिता 119:97-104)।

(7) मसीह के आगमन के पश्‍चात् लोगों को यह देखने के लिए प्रभावित करना कि वे व्यवस्था का पालन नहीं कर सकते हैं, परन्तु उन्हें मसीह को व्यक्तिगत उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने की आवश्यकता है, क्योंकि उसने अपने जीवन में व्यवस्था को पूरा किया है और अपनी मृत्यु, गाड़े जाने और पुनरुत्थान के द्वारा हम पर आए हुए दण्ड का भुगतान कर दिया है (गलातियों 3:24; रोमियों 10:4)। मसीह में विश्‍वास करने वाले के पास व्यवस्था की वही धार्मिकता होती है, जो मसीह के द्वारा पूरी की गई है, क्योंकि वह पवित्र आत्मा की आज्ञा का पालन करता है, जो उसके भीतर वास करता है (रोमियों 8:4)।

मूसा की व्यवस्था का उद्देश्य इन प्रश्नों को उत्पन्न करता है: "क्या आप स्वयं पर भरोसा करते हुए सभी समयों में व्यवस्था को पूरा कर रहे हैं (जिसे आप नहीं कर सकते हैं)?" या "क्या आपने यीशु को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करने का विकल्प अपनाया है, यह साकार करते हुए कि उसने व्यवस्था को पूरी तरह से पूरा कर दिया है, यहाँ तक इसे तोड़ने के लिए उसने आपके दण्ड का भुगतान कर दिया है?” चुनाव आपका है।

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