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प्रश्न

एक मसीही जीवन साथी उसके व्यभिचारी साथी के साथ कैसे निपटारा करे जिसके व्यभिचारी सम्बन्धों के परिणामस्वरूप एक बच्चे का जन्म हुआ है?

उत्तर


विवाह एक ऐसी वाचा है, जो एक जोड़े को दोनों आत्मिक और शारीरिक रूप से इकट्ठा कर देती है। वैवाहिक विश्‍वासघात इसके लिए एक विनाशकारी झटके का कारण बनती है, जो विवाह की एकता को चकनाचूर कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप अक्सर न मरम्मत होने वाली हानि होती है। यह विशेष रूप से तब सच हो सकता है, जब यदि व्यभिचार के माध्यम से एक बच्चे का जन्म हो जाता है।

एक माता-पिता का अपने बच्चे के प्रति दायित्व यह नहीं है कि उसका गर्भधारण किन परिस्थितियों के द्वारा निर्धारित होता है। एक व्यभिचारी कार्य के माध्यम से एक बच्चे को इस संसार में लाए जाने में दोनों ही साथियों से सम्बन्धित सदस्यों के लिए असुविधाजनक होता हैं, परन्तु स्मरण रखने के लिए महत्वपूर्ण है कि बच्चा निर्दोष है और अपने जीवन में दोनों साथियों को माता/पिता के रूप में होने का अधिकारी है।

एक व्यभिचारी सम्बन्ध के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुए बच्चे के पश्चात् भी यदि एक पत्नी अपने पति के साथ ही रहने का निर्णय करती है, तो उसे अपने पति पाप को क्षमा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। बाइबल हमें बताता है कि मसीही विश्‍वासियों को एक-दूसरे को क्षमा करना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे परमेश्‍वर ने हमें क्षमा किया है (मत्ती 6:14-15)। इसका अर्थ है कि ईर्ष्या और क्रोध की भावनाओं को अपनी पीठ के पीछे फेंक देने के निर्णय को लेना।

आदर्शमयी रूप में, एक पत्नी जिसके पति ने किसी दूसरी स्त्री के साथ एक बच्चे को जन्म दिया है, उस बच्चे को एक सौतेले बेटे या सौतेली बेटी के रूप में अपने गले लगाने में सक्षम होगी। उसे अपने पति के साथ अपने बच्चे के साथ सम्बन्ध में रोड़ा बनाने के लिए खड़ा नहीं होना चाहिए, चाहे यह उसके लिए कितनी भी अधिक पीड़ादायी ही क्यों न हो। उनके पास अपने सभी बच्चों के लिए वित्तीय, आत्मिक और भावनात्मक दायित्व हैं (इफिसियों 6:4)।

यद्यपि, व्यभिचार एक ऐसा पाप है, जिसमें परिवारों को तोड़ने की क्षमता है, इसका परिणाम एक विवाह के अन्त में नहीं होना चाहिए। इसकी अपेक्षा, एक विवाहित जोड़े को विश्‍वास की दृढ़ नींव और यीशु मसीह की आज्ञाकारिता के ऊपर अपने सम्बन्धों के पुनर्निर्माण के लिए भी दृढ़ता के साथ कार्य करना चाहिए। केवल परमेश्‍वर के अनुग्रह और दया और मसीह में दृढ़ विश्‍वास ही इस मुश्किल स्थिति में एक विवाहित जोड़े को एक कर सकता है। परन्तु अनुग्रह, दया और विश्‍वास सभी पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्‍वर की ओर से मिलने वाले वरदान हैं, और केवल उन्हीं ही के लिए उपबल्ध हैं, जो अपने जीवन की सभी परेशानियों में सच्चाई के साथ परमेश्‍वर की महिमा करने के लिए प्रयासरत् होते हैं।

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