प्रश्न
आत्मावाद क्या है?
उत्तर
आत्मा या जीववाद की मान्यता यह है कि प्रत्येक वस्तु में एक आत्मा या प्राण होता है, लैटिन में एक एनिमा, जिसमें जानवर, पौधें, चट्टानें, पहाड़, नदियाँ और सितारे इत्यादि सब कुछ सम्मिलित हैं। आत्मवादी विश्वास करते हैं कि प्रत्येक एनीमा एक शक्तिशाली आत्मा होती है, जो उन्हें सहायता या ठेस पहुँचा सकती है और जिसकी आराधना की जानी चाहिए या जिससे डरना या किसी तरह से जिसकी पहचान की जानी चाहिए। आत्मवाद एक आदिम धर्म है, जिनके अनुयायी हजारों वर्षों से जानवरों, सितारों, और किसी भी तरह की मूर्तियों और व्यवहार में लाए जाने वाले आत्मवाद, जादू टोना, भावी कहने वाले और ज्योतिष विज्ञान का उपयोग करते आए हैं। वे जादू, मन्त्र, टोना-टोटका, अंधविश्वास, ताबीज, सुरक्षा कवच, वशीकरण, या कुछ भी ऐसा जिसमें वे विश्वास करते हैं कि उन्हें बुरी आत्माओं से बचाने और भली आत्माओं को शान्त करने में सहायता मिलेगी, का उपयोग करते हैं।
हिन्दू धर्म, मॉरमनवाद और सभी न्यू ऐज़ मूवमेन्ट अर्थात् नव युगवादी सम्प्रदायों सहित कई झूठे धर्मों में आत्मवाद के तत्व उपस्थित हैं। झूठा धर्म सदैव किसी तरह से यही शिक्षा देता है कि मनुष्य के भीतर वास करती हुई आत्मा वास्तव में परमेश्वर है और धर्म की प्रथाएँ हमें इसे महसूस करने और इस ईश्वर-आत्मा को विकसित करने में सहायता प्रदान करेंगी ताकि हम भी परमेश्वर बन जाएँ। यह वही झूठ है, जिसे शैतान अदन की वाटिका से प्रचारित करते चले आ रहा है, जब उसने आदम और हव्वा को यह कहते हुए परीक्षा में डाल दिया था, "तुम ईश्वर के तुल्य हो जाओगे" (उत्पत्ति 3:5)।
बाइबल स्पष्ट रूप से कहती है कि केवल एक ही ईश्वर है और शेष सब कुछ, स्वर्ग के स्वर्गदूतों से लेकर समुद्र तट की रेत से होते हुए अनाज के दाने, उसके द्वारा ही रचे गए थे (उत्पत्ति 1:1)। कोई भी धर्म जो यह शिक्षा देता है कि एक से अधिक ईश्वर हैं, एक झूठ की शिक्षा दे रहा है। "मुझ से पहले कोई परमेश्वर न हुआ और न मेरे बाद कोई होगा" (यशायाह 43:10) और "में यहोवा हूँ और दूसरा कोई नहीं, मुझे छोड़ कोई परमेश्वर नहीं है" (यशायाह 45:5)। झूठे ईश्वरों की आराधना करना, जो वास्तव में ईश्वर हैं ही नहीं, एक पाप है, जिससे परमेश्वर को विशेष रूप से घृणा है, क्योंकि यह उस महिमा की चोरी कर लेता है, जिस पर केवल उसी का ही अधिकार है । बाइबल में कई बार, परमेश्वर ने झूठे देवताओं की पूजा करने से मना किया है।
इसके अतिरिक्त, बाइबल बड़ी दृढ़ता के साथ आत्मवाद की प्रथाओं का पालन करने के लिए मना करती है। "यदि कोई पुरूष या स्त्री ओझाई अथवा भूत की साधना करे, तो वह निश्चित मार डाला जाए, ऐसों पर पथराव किया जाए, उनका खून उन्हीं के सिर पर पड़ेगा" (लैव्यव्यवस्था 20:27)। लोगों के जीवन में प्रवेश करने के लिए दुष्टात्माओं अर्थात भूतों के लिए आत्मवादी प्रथाएँ खुले दरवाजे हैं। बाइबल उन लोगों को निन्दा करती है, जो ऐसी प्रथाओं का बहुत अधिक दृढ़ता के साथ पालन करते हैं (व्यवस्थाविवरण 18; लैव्यव्यवस्था 20; यशायाह 47)।
सभी झूठे धर्मों की तरह ही आत्मवाद केवल शैतान की एक और योजना है, जो झूठ का पिता है। तथापि, यह पूरे संसार के बहुत से लोगों को धोखा दे रहा है, जिसके द्वारा "विरोधी शैतान [जो] गर्जनेवाले सिंह के समान इस खोज में रहता है कि किस को फाड़ खाए" (1 पतरस 5:8)।
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आत्मावाद क्या है?