प्रश्न
क्या विश्वास से फिरा हुआ मसीही विश्वासी अभी भी बचा हुआ है?
उत्तर
यह एक ऐसा प्रश्न है, जिसके ऊपर वर्षों से समाप्त न होने वाला वाद विवाद चल रहा है। शब्द "फिरा हुआ" या "फिर गया" नए नियम में प्रगट नहीं होते और मूल रूप से पुराने नियम में इस्राएल के लिए उपयोग किए गए हैं। यहूदी, यद्यपि वे परमेश्वर के चुने हुए लोग थे, निरन्तर अपनी पीठ को परमेश्वर की ओर फेर लेते थे और उसके वचन के विरूद्ध बलवा करते थे (यिर्मयाह 8:9)। यही वह कारण है कि क्यों उन्हें निरन्तर अपने पापों के लिए बलिदानों को चढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ता था, ताकि वे अपने सम्बन्ध को उस परमेश्वर के साथ पुन: स्थापित अर्थात् बहाल कर सकें जिसको उन्होंने ठेस पहुँचाई थी। मसीही विश्वासियों ने स्वयं के लिए मसीह के सिद्ध और सदैव-के लिए-एक ही बार चढ़ाए हुए बलिदान को प्राप्त किया है और उन्हें अपने उनके पापों के लिए और अतिरिक्त बलिदान की कोई आवश्यकता नहीं रही है। स्वयं परमेश्वर ने हमारे लिए उसके उद्धार को प्राप्त किया है (2 कुरिन्थियों 5:21), और क्योंकि हम उसके द्वारा बचाए गए हैं, एक सच्चा मसीही विश्वासी विश्वास से उतना दूर नहीं जा सकता कि वह पुन: वापस न लौट सके।
मसीही विश्वासी भी पाप करते हैं (1 यूहन्ना 1:8), परन्तु मसीही जीवन पाप के द्वारा चित्रित होने वाला एक जीवन नहीं है। विश्वासी नई सृष्टि हैं (2 कुरिन्थियों 5:17)। हम में पवित्र आत्मा का वास है, जो अच्छे फल को उत्पन्न करता है (गलातियों 5:22-23)। एक मसीही जीवन एक परिवर्तित जीवन होना चाहिए। मसीहियों को चाहे वह कितनी भी बार पाप क्यों न करें क्षमा प्रदान की जाती है, परन्तु उसी समय मसीही विश्वासियों को प्रगतिशील रीति से एक ऐसे पवित्र जीवन को यापन करना चाहिए जो अधिकाधिक परमेश्वर की निकटता में बढ़ता जाए और मसीही के सदृश होता चला जाए। हम में एक व्यक्ति के विषय में गम्भीर सन्देह होने चाहिए जो विश्वासी होने का दावा तो करता है, परन्तु तौभी एक ऐसे जीवन को यापन करता है, जिसके लिए कुछ और ही कहा जा सकता है। हाँ, एक अस्थाई रूप से पाप में गिरा हुआ एक सच्चा मसीही विश्वासी अभी भी बचा हुआ है, परन्तु उसी समय पाप के द्वारा नियन्त्रित एक जीवन को यापन करने वाला एक व्यक्ति एक सच्चा विश्वासी नहीं हो सकता है।
उस व्यक्ति के बारे में क्या कहा जाए जो मसीह का इन्कार कर देता है? बाइबल हमें बताती है कि यदि एक व्यक्ति मसीह का इन्कार कर देता है, तो उसने कभी भी आरम्भ से ही मसीह को नहीं जाना है। "वे निकले तो हम ही में से, पर हम में के थे नहीं; क्योंकि यदि वे हम में के होते, तो हमारे साथ रहते; पर निकल इसलिये गए हैं कि यह प्रगट हो कि वे सब हम में के नहीं हैं" (1 यूहन्ना 2:19)। एक व्यक्ति जो मसीह को अस्वीकार कर देता है और विश्वास करने से अपने मुँह को फेर लेता है, यह प्रदर्शित करता है कि वह कभी भी मसीह से सम्बन्धित नहीं था। मसीह से सम्बन्धित सदैव मसीह के साथ बने रहते हैं। अपने विश्वास को त्यागने वालों को कभी भी इसे आरम्भ में पाया ही नहीं था। "यह बात सच है, कि यदि हम उसके साथ मर गए हैं, तो उसके साथ जीएँगे भी; यदि हम धीरज से सहते रहेंगे, तो उसके साथ राज्य भी करेंगे; यदि हम उसका इन्कार करेंगे, तो वह भी हमारा इन्कार करेगा; यदि हम अविश्वासी भी हों, तौभी वह विश्वासयोग्य बना रहता है, क्योंकि वह आप अपना इन्कार नहीं कर सकता है" (2 तीमुथियुस 2:11-13)।
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क्या विश्वास से फिरा हुआ मसीही विश्वासी अभी भी बचा हुआ है?