प्रश्न
क्या परमेश्वर मुझे बचा सकता है?
उत्तर
यह प्रश्न कि क्या परमेश्वर मुझे बचा सकता?" अतीत के वर्षों में लाखों लोगों के द्वारा पूछा गया है। न केवल परमेश्वर आपको बचा सकता है, अपितु केवल परमेश्वर ही आपको बचा सकता है। इसे समझने के लिए कि "क्या परमेश्वर मुझे बचा सकता है?" का उत्तर "हाँ, वह बचा सकता है!" में है, हमें समझना होगा कि हमें सबसे पहले बचाए जाने की क्यों आवश्यकता है। जब आदम ने अदन की वाटिका में परमेश्वर की आज्ञा की अवहेलना की, तो उसके पाप ने शेष सारी सृष्टि को दूषित कर दिया (रोमियों 5:12), और आदम से विरासत में मिले पापी स्वभाव ने हमें परमेश्वर से अलग कर दिया है। हमारे लिए परमेश्वर के महान प्रेम के कारण, यद्यपि, उसके पास एक योजना थी (उत्पत्ति 3:15)। वह यीशु मसीह के व्यक्तित्व में मनुष्य के रूप में इस पृथ्वी पर आएगा और स्वेच्छा से हमारे लिए अपने जीवन को दे देगा, और उस दण्ड को अपने ऊपर ले लेगा जिसे पाने के हम योग्य थे। जब हमारे उद्धारकर्ता ने क्रूस से पुकारा, "पूरा हुआ" (यूहन्ना 19:30), तब हमारे पाप के ऋण को सदैव के लिए अदा कर दिया गया। यीशु मसीह ने हमें निश्चित मृत्यु और एक भयानक, ईश्वरहीन अनन्त काल से बचा लिया है।
मसीह के प्रायश्चित्त से भरे हुए बलिदान का लाभ उठाने के लिए, हमें पाप और उसके लिए अदा किए हुए दण्ड स्वरूप उसके दिए हुए बलिदान के ऊपर भरोसा करना चाहिए (यूहन्ना 3:16; प्रेरितों के काम 16:31)। और जब हम ऐसा करते हैं, तब परमेश्वर हमें मसीह की धार्मिकता के साथ ढक देता है (रोमियों 3:22)। परन्तु इस जोड़ी गई धार्मिकता के बिना, हम कभी भी हमारे पवित्र परमेश्वर की उपस्थिति में प्रवेश नहीं कर पाते (इब्रानियों 10:19-25)।
हमारा उद्धार हमारे शाश्वतकालीन गंतव्य को बहुत अधिक प्रभावित करता है, यद्यपि; "बचाए जाने" का भी तत्काल प्रभाव पड़ता है। शुभ सन्देश यह है कि क्रूस पर मसीह के द्वारा किए गए पूर्ण कार्य ने हमें परमेश्वर से अनन्तकालीन अलगाव से बचा लिया है और उसने हमें इस सामर्थ्य में वर्तमान के पाप की सामर्थ्य से भी बचाया है। जब हम मसीह को स्वीकार करते हैं, तो उसकी आत्मा हम में वास करता है और हम अब पापी स्वभाव से नियन्त्रित नहीं होते हैं। यह स्वतन्त्रता हमें पाप को "नहीं" करने के लिए सम्भव बनाती है और शरीर की पापी इच्छाओं के प्रति हमारी दासता को दूर कर देती है। "तुम शारीरिक दशा में नहीं, परन्तु आत्मिक दशा में हो। यदि किसी में मसीह का आत्मा नहीं तो वह उसका जन नहीं" (रोमियों 8:9)।
यह बात कोई अर्थ नहीं रखती है कि आप कौन हैं या आपने क्या किया है। यीशु मसीह पापियों को बचाने के लिए इस संसार में आया (1 तीमुथियुस 1:15), और हम सभी पापी हैं (रोमियों 3:23)। हम में से कोई भी परमेश्वर के बचाए जाने वाले अनुग्रह की पहुँच से दूर नहीं है (यशायाह 59:1)। प्रेरित पौलुस परमेश्वर के व्यापक अनुग्रह का एक सबसे बड़ा उदाहरण है। पौलुस ने अपने जीवन के पहले भाग को घृणा, कारावास, सताए जाने और यहाँ तक कि मसीही विश्वासियों को मारने का भी अंश के रूप में व्यतीत किया था। तौभी, यीशु मसीह के साथ एक मुठभेड़ ने पौलुस को अभी तक के इतिहास के सबसे बड़े मसीही मिशनरियों में से एक में परिवर्तित कर दिया। यदि परमेश्वर पौलुस जो "पापियों में सबसे बड़ा" (1 तीमुथियुस 1:15) था, को बचा सकता है, तो वह किसी को भी बचा सकता है।
मनुष्य परमेश्वर की सृष्टि का मुकुट है, जो उसके स्वरूप में निर्मित किया गया है (उत्पत्ति 1:26)। परमेश्वर चाहता है कि हम सभों को बचाया जाए (1 तीमुथियुस 2:4) और हम में से कोई भी नाश न हो (2 पतरस 3:9; यहेजकेल 18:32)। जो लोग यीशु के नाम पर विश्वास करते हैं, उन्हें परमेश्वर अपनी सन्तान बनने का अधिकार देता है (यूहन्ना 1:12)। भजन संहिता 91 में उनकी सन्तान के लिए परमेश्वर क्या करेगा, लिखा हुआ है: "उसने जो मुझ से स्नेह किया है, इसलिये मैं उसको छुड़ाऊँगा, मैं उसको ऊँचे स्थान पर रखूँगा, क्योंकि उसने मेरे नाम को जान लिया है। जब वह मुझ को पुकारे, तब मैं उसकी सुनूँगा, संकट में मैं उसके संग रहूँगा, मैं उसको बचाकर उसकी महिमा बढ़ाऊँगा। मैं उसको दीर्घायु से तृप्त करूँगा, और अपने किए हुए उद्धार का दर्शन दिखाऊँगा" (भजन संहिता 91:14–16)।
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क्या परमेश्वर मुझे बचा सकता है?