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प्रश्न

आसान-विश्‍वासवाद क्या है?

उत्तर


हम विश्‍वास के द्वारा अनुग्रह से बचाए जाते हैं (इफिसियों 2:8)। कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो इस से यह निष्कर्ष निकालते हैं कि उद्धार के प्रमाण के रूप में मसीही चेलेपन के लिए समर्पित जीवन की कोई आवश्यकता नहीं है। अन्य लोग कह सकते हैं कि एक व्यक्ति बचाया जाता है, क्योंकि उसने बचाए जाने के लिए प्रार्थना की — जिसमें पाप के प्रति वास्तविक रूप से कोई दृढ़ निश्‍चय और मसीह के प्रति कोई वास्तविक विश्‍वास नहीं था। बचाए जाने के लिए प्रार्थना करना आसान है, परन्तु उद्धार बोले गए शब्दों की तुलना में कहीं बढ़ कर है।

इसके प्रति अधिकांश वाद-विवाद अनावश्यक है और यह पवित्र शास्त्र के प्रति गलत समझ के ऊपर आधारित है। बाइबल स्पष्ट है कि केवल मसीह में विश्‍वास के माध्यम से ही अनुग्रह के द्वारा उद्धार प्राप्त होता है। विश्‍वास, परमेश्‍वर के द्वारा उपहार के रूप में दिया गया है, जो हमें बचाता है। परन्तु इफिसियों 2:10 उद्धार अर्थात् मोक्ष के परिणामों के बारे में बताता है: "क्योंकि हम उसके बनाए हुए हैं, और मसीह यीशु में उन भले कामों के लिये सृजे गए जिन्हें परमेश्‍वर ने पहले से हमारे करने के लिये तैयार किया।" अपनी इच्छाओं के द्वारा किए हुए कुछ आसान कार्य से बचाए जाने की अपेक्षा, हम उसकी इच्छा से और उसके उपयोग के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्‍वर के हाथ से बचाए जाते हैं। हम उसके दास हैं, और विश्‍वास से उद्धार के क्षण से, हम पूर्व-निर्धारित अच्छे कार्यों की यात्रा को आरम्भ करते हैं, जो उस मोक्ष के प्रमाण को देती है। यदि प्रगति और अच्छे कार्यों का कोई प्रमाण नहीं है, तो हमारे पास सन्देह करने का कारण है कि उद्धार वास्तव में हुआ था या नहीं। "कर्म बिना विश्‍वास व्यर्थ है" अर्थात् मरा हुआ है (याकूब 2:20), और एक मृत विश्‍वास एक बचाया हुआ विश्‍वास नहीं है।

"केवल विश्‍वास" का अर्थ यह नहीं है कि विश्‍वास करने वाले कुछ शिष्य अपने जीवन में मसीह का अनुसरण चेलेपन के जीवन के लिए करते हैं, जबकि अन्य नहीं करते हैं। "शारीरिक विश्‍वासी" की धारणा गैर-आत्मिक विश्‍वासी को एक अलग ही श्रेणी के रूप में रखती है, जो कि पूरी तरह से अपवित्रशास्त्रीय है। शारीरिक विश्‍वासी की धारणा कहती है कि एक व्यक्ति एक धार्मिक अनुभव के समय मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में प्राप्त कर सकता है, परन्तु उसमें कभी भी परिवर्तित हुए जीवन का प्रमाण प्रकट ही न हो। यह एक झूठी और खतरनाक शिक्षा है, जिसमें यह विभिन्न अधर्मी जीवन शैली के होने का बहाना बनाना: अर्थात् एक व्यक्ति एक न पश्‍चाताप किया हुआ व्यभिचारी, झूठा, या चोर हो सकता है, परन्तु वह "बचाया" हुआ है, क्योंकि उसने एक बच्चे के रूप में प्रार्थना की है; वह तो मात्र एक "शारीरिक विश्‍वासी" है। बाइबल कहीं पर भी इस विचार का समर्थन नहीं करती है कि एक सच्चा मसीही विश्‍वासी अपने पूरे जीवन में शारीरिक रह सकता है। इसकी अपेक्षा, ईश्‍वर का वचन केवल दो ही श्रेणियों को प्रस्तुत करता है: मसीही और गैर-मसीही, विश्‍वासी और अविश्‍वासी, विश्‍वास करने वाले और न विश्‍वास करने वाले अविश्‍वासी, जिन्होंने मसीह के प्रभुत्व के प्रति स्वयं को अधीन किया है और जिन्होंने नहीं किया है (देखें यूहन्ना 3:36; रोमियों 6:17-18; 2 कुरिन्थियों 5:17; गलतियों 5:18-24; इफिसियों 2:1-5; 1 यूहन्ना 1:5-7; 2:3-4)।

जबकि उद्धार की सुरक्षा मसीह के द्वारा उद्धार के लिए समाप्त किए हुए काम के आधार पर एक बाइबल आधारित सच्चाई है, यह निश्‍चित रूप से सच है कि कुछ लोग जिन्होंने मसीह के पीछे चलने का "निर्णय लिया है" या "मसीह को स्वीकार किया है" वास्तव में बचाए हुए नहीं हो सकते हैं। जैसा कि पहले उल्लेख किया गया है, उद्धार हमारी ओर से मसीह को स्वीकार करने में नहीं है, क्योंकि इसमें उसके द्वारा हमें स्वीकार करना भी सम्मिलित है। हम परमेश्‍वर के उद्देश्य के लिए परमेश्‍वर की सामर्थ्य से बचाए जाते हैं, और उस उद्देश्य में उन कार्यों को सम्मिलित किया जाता है, जो हमें मन परिवर्तन का प्रमाण देते हैं। जो शरीर के अनुसार जीवन व्यतीत करते रहते हैं, वे विश्‍वास नहीं करते हैं (रोमियों 8:5-8)। यही कारण है कि पौलुस हमें यह कहता है कि हम "अपने आप को परखें कि विश्‍वास में हैं कि नहीं" (2 कुरिन्थियों 13:5)। "शारीरिक" मसीही विश्‍वासी जो स्वयं की जाँच करता है, शीघ्र ही पा लेगा कि वह विश्‍वास में है या नहीं है।

याकूब 2:19 कहता है, "तुझे विश्‍वास है कि एक ही परमेश्‍वर है; तू अच्छा करता है। दुष्‍टात्मा भी विश्‍वास रखते और — थरथराते हैं! जिस तरह का "विश्‍वास" दुष्‍टात्माओं के पास है, उस की तुलना उन लोगों द्वारा की गई बौद्धिक सहमति से की जा सकती है, जो यीशु में "विश्‍वास" करते हैं, कि वह अस्तित्व में है या वह एक अच्छा व्यक्ति था। कई अविश्‍वासी कहते हैं, "मैं परमेश्‍वर में विश्‍वास करता हूँ" या "मैं यीशु में विश्‍वास करता हूँ"; दूसरों का कहना है, "मैंने प्रार्थना की है और प्रचारक ने कहा कि मैं बचाया गया हूँ।" परन्तु ऐसी प्रार्थनाएँ और इस तरह की धारणा आवश्यक नहीं है कि मन में परिवर्तन का संकेत दे। समस्या शब्द विश्‍वास के बारे में गलत समझ के कारण पाई जाती हैं। सच्चे उद्धार के साथ वास्तविक पश्‍चाताप और वास्तविक जीवन में परिवर्तन आता है। दूसरा कुरिन्थियों 5:17 कहता है कि जो लोग मसीह में हैं, वे "नई सृष्टि" हैं। क्या यह सम्भव है कि मसीह का पाए जाने वाली सृष्टि ऐसे नए व्यक्ति की रचना करे जो शरीर की शारीरिकता में जीवन व्यतीत करता रहे।? बिल्कुल भी नहीं।

उद्धार निश्‍चित रूप से नि:शुल्क है, परन्तु साथ ही, यह सब कुछ का त्याग चाहता है। हमें स्वयं के प्रति मरना होता है, क्योंकि हम मसीह की समानता में परिवर्तित हो गए हैं। हमें यह समझना चाहिए कि यीशु में विश्‍वास रखने वाला व्यक्ति प्रगतिशील रूप से परिवर्तित जीवन की चाल को चलेगा। उद्धार उन लोगों के लिए परमेश्‍वर की ओर से मुफ़्त उपहार है, जो विश्‍वास करते हैं, परन्तु चेलापन और आज्ञाकारिता वह प्रतिक्रिया बिना किसी सन्देह के तब प्रगट होती हैं, जब एक व्यक्ति वास्तव में विश्‍वास के द्वारा मसीह के पास आता है।

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