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प्रश्न

फ्री मेसनरी क्या है और फ्री मेसनरी के सदस्य क्या विश्‍वास करते हैं?

कृपया ध्यान दें, इस लेख में, हम यह दावा नहीं कर रहे हैं कि फ्री मेसनरी अर्थात् एक गुप्त संस्था में सम्मिलित सभी लोग पन्थवादी हैं, या यह कि सभी फ्री मेसनरी नीचे लिखित सभी बातों के ऊपर विश्‍वास करते हैं। हम जो कह रहे हैं, यह है कि : अपने मूल में फ्री मेसनरी एक मसीही संगठन नहीं है। ऐसे बहुत से मसीही विश्‍वासी हैं, जिन्होंने फ्री मेसनरी के बारे यह पता लगाने के पश्चात् कि यह वास्तव में क्या है, उसे छोड़ दिया है। यहाँ पर अच्छे और ईश्‍वर का अनुसरण करने वाले पुरुष पाए जाते हैं, मसीह में पाए जाने वाले सच्चे मसीही विश्‍वासी जो फ्री मेसन भी हैं। हमारा विवाद यह नहीं है कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे वास्तव में फ्री मेसनरी को नहीं समझते हैं। प्रत्येक व्यक्ति को परमेश्‍वर से बुद्धि और विवेक के लिए प्रार्थना करनी चाहिए कि क्या उसे फ्री मेसनरी के साथ सम्मिलित होना है। इस लेख की समीक्षा की गई थी और इसे फ्री मेसनरी की ब्लू लॉज समूह के एक पूर्व आदरणीय अध्यापक द्वारा त्रुटिहीनता के पश्चात् स्वीकृत किया गया था।

प्रश्न: फ्री मेसनरी क्या है और फ्री मेसनरी के सदस्य क्या विश्‍वास करते हैं?

उत्तर : फ्री मेसनरी, पूर्वी तारा, और ऐसे ही अन्य "गुप्त" संगठन हानिरहित संगतियों के रूप में प्रतीत होते हैं। उनमें से बहुत से परमेश्‍वर के ऊपर विश्‍वास करने का बढ़ावा देते हुए दिखाई देते हैं। यद्यपि, निकटता से की जाने वाली जाँच में हम पाते हैं कि एकमात्र विश्‍वास की आवश्यकता यह नहीं है कि एक व्यक्ति सच्चे और जीवित परमेश्‍वर के ऊपर विश्‍वास करे, अपितु यह कि एक "सर्वोच्च प्राणी" के अस्तित्व के ऊपर विश्‍वास करे, जिसमें इस्लाम, हिन्दू धर्म, या किसी भी अन्य विश्‍व धर्म के "देव" सम्मिलित हैं। संगठन की बाइबल रहित और मसीही-विरोधी मान्यताओं और प्रथाओं को आंशिक रूप से मसीही विश्‍वास के साथ अपेक्षाकृत अनुरूपता के बाहरी स्वरूप से छिपा दिया गया है। नीचे फ्री मेसनरी की "आधिकारिक" अवस्था के साथ बाइबल क्या कहती है, की तुलना दी गई है:

पाप से उद्धार :

बाइबल आधारित दृष्टिकोण : यीशु परमेश्‍वर के सामने पापी मनुष्य के बलिदान तब बन गया जब उसने अपने लहू को बहाया और उन सभी के पापों के लिए प्रायश्चित (भुगतान) के रूप में मर गया, जो कि उसके ऊपर विश्‍वास करते हैं (इफिसियों 2:8-9, रोमियों 5:8, यूहन्ना 3:16)।

मेसन आधारित दृष्टिकोण : लॉज अर्थात् समूह में सम्मिलित होने की प्रक्रिया ही मसीही विश्‍वासियों को परमेश्‍वर और उद्धारकर्ता के रूप में यीशु मसीह की विशिष्टता को अनदेखा करने की शर्ते पर आधारित है। फ्री मेसनरी के अनुसार, एक व्यक्ति अपने अच्छे कर्मों और व्यक्तिगत् आत्म-सुधार के परिणामस्वरूप स्वर्ग में जायेगा।

बाइबल के प्रति दृष्टिकोण :

बाइबल आधारित दृष्टिकोण : पवित्रशास्त्र का अलौकिक और पूर्ण रीति से प्रेरणा सहित होना — यह कि वे त्रुटिहीन हैं और उसकी शिक्षाएँ और अधिकार, सम्पूर्ण, सर्वोच्च और अन्तिम हैं। बाइबल परमेश्‍वर का वचन है (2 तीमुथियुस 3:16, 1 थिस्सलुनीकियों 2:13)।

मेसन आधारित दृष्टिकोण : बाइबल मात्र एक "पवित्र व्यवस्था के कई खण्ड(डों) में से एक है", जिनमें से सभी फ्री मेसनरी के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण हैं। बाइबल एक महत्वपूर्ण पुस्तक है, परन्तु यह केवल उन्हीं सदस्यों के लिए महत्वपूर्ण है, जो मसीही विश्‍वासी होने का दावा करते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मुसलमानों के लिए कुरान महत्वपूर्ण है। बाइबल को परमेश्‍वर का निर्णायक वचन नहीं माना जाना चाहिए, न ही यह मानव जाति के लिए स्वयं परमेश्‍वर की ओर से एकमात्र प्रकाशन माना जाना चाहिए; परन्तु यह केवल कई धार्मिक स्रोत पुस्तकों में से एक ही है। नैतिकता के लिए यह एक अच्छी मार्गदर्शिका है। बाइबल का प्रयोग मुख्य रूप से परमेश्‍वर की इच्छा के प्रतीक के रूप में किया जाता है, जिसे कुरान या ऋग्वेद जैसे अन्य पवित्र ग्रन्थों में से प्राप्त किया जा सकता है।

परमेश्‍वर का धर्मसिद्धान्त :

बाइबल आधारित दृष्टिकोण : परमेश्‍वर एक है। परमेश्‍वर के विभिन्न नाम इस्राएल के परमेश्‍वर को ही उद्धृत करते हैं और परमेश्‍वर के कुछ निश्चित गुणों को प्रगट करते हैं। अन्य देवताओं की पूजा करना या अन्य देवताओं को पुकारना मूर्तिपूजा है (निर्गमन 20: 3)। पौलुस ने मूर्तिपूजा को एक घृणित पाप (1 कुरिन्थियों 10:14) होने के रूप में बात की और यूहन्ना ने कहा कि मूर्तिपूजक नरक के दण्ड के भागी हो जाएँगे (प्रकाशितवाक्य 21: 8)।

मेसन आधारित दृष्टिकोण : सभी सदस्यों को केवल एक ही ईश्‍वर में विश्‍वास करना चाहिए। विभिन्न धर्मों (ईसाई धर्म, यहूदी धर्म, इस्लाम, इत्यादि) उसी परमेश्‍वर की पहचान करते हैं, परन्तु केवल उसे भिन्न नामों से पुकारते हैं। फ्री मेसनरी सभी धर्मों के लोगों को इस विश्‍वास के लिए आमन्त्रित करते हैं कि चाहे वे 'सौ से अधिक नामों में से नामरहित' नाम का ही उपयोग क्यों न करें, वे अभी भी एक ही परमेश्‍वर और सभी के पिता से प्रार्थना कर रहे हैं।

यीशु और त्रिएकत्व का धर्मसिद्धान्त :

बाइबल आधारित दृष्टिकोण : यीशु मानवी रूप में परमेश्‍वर था (मत्ती 1:18-24, यूहन्ना 1:1)। यीशु त्रिएकत्व का दूसरा व्यक्ति है (मत्ती 28:19, मरकुस 1: 9-11)। पृथ्वी पर रहते हुए, वह पूरी तरह मनुष्य (मरकुस 4:38, मत्ती 4: 2) और पूरी तरह से ईश्‍वरीय (यूहन्ना 20:28, यूहन्ना 1: 1-2, प्रेरितों के काम 4: 10-12) था। मसीही विश्‍वासियों को यीशु के नाम से प्रार्थना करनी चाहिए और अन्य लोगों के सामने उसका प्रचार, इस बात की चिन्ता न करते हुए करना चाहिए, चाहे यह गैर-मसीहियों के लिए ठोकर ही क्यों न हो (यूहन्ना 14:13-14, 1 यूहन्ना 2:23, प्रेरितों के काम 4:18-20)।

मेसन आधारित दृष्टिकोण : यीशु मसीह या त्रिएक परमेश्‍वर में कोई विशिष्टता नहीं है, जो पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा है; इसलिए यीशु मसीह के ईश्‍वरीय होने का कोई सिद्धान्त नहीं है। जब प्रार्थना की जाती है, तब यीशु के नाम से करना या उसके नाम को लॉज अर्थात् समूह में उल्लेख करना मेसन-आधारित मान्यता नहीं है। यह सुझाव देना कि यीशु ही एकमात्र मार्ग है, परमेश्‍वर की सहिष्णुता के सिद्धान्त के विपरीत है। यीशु का नाम बाइबल के सन्दर्भों में से निकाल दिया गया, जिन्हें मेसन आधारित अनुष्ठानों में उपयोग किया जाता है। यीशु अन्य धार्मिक अगुवों के ही स्तर पर हैं।

पाप और मनुष्य का स्वभाव :

बाइबल आधारित दृष्टिकोण : सभी मनुष्य एक पापी स्वभाव के साथ जन्म लिए हुए हैं, पूरी तरह से नैतिक रूप में भ्रष्ट हैं, और पाप से बचने के लिए उन्हें उद्धारकर्ता की आवश्यकता है (रोमियों 3:23, रोमियों 5:12, भजन संहिता 51:5, इफिसियों 2:1)। बाइबल इन्कार करती हैं कि मनुष्य के भीतर ही नैतिक पूर्णता की क्षमता है (1 यूहन्ना 1:8-10, रोमियों 1:18-25)।

मेसन आधारित दृष्टिकोण : प्रतीकों और चिन्हों के माध्यम से, मेसनवादी यह शिक्षा देते हैं कि मनुष्य पापी नहीं है, वह केवल "प्रकृति के द्वारा असभ्य और अपूर्ण" मात्र है। मनुष्य विभिन्न तरीकों से अपने चरित्र और व्यवहार को उत्तम बनाने में सक्षम हैं, जिनमें दान, नैतिक जीवन और नागरिकों के स्वेच्छा से किए जाने वाले कार्य सम्मिलित हैं। मानव जाति में अपूर्णता से पूर्णता की ओर बढ़ने की क्षमता है। नैतिक और आध्यात्मिक पूर्णता पुरुषों और स्त्रियों के भीतर ही निहित है।

जब एक मसीही विश्‍वासी फ्री मेसनरी के सदस्य होने की शपथ लेता है, तो वह निम्नलिखित धर्मसिद्धान्तों के लिए शपथ लेता है, जिन्हें परमेश्‍वर ने झूठी और पाप से भरी हुई शिक्षा के रूप में घोषित किया है:

1. यह कि उद्धार मनुष्य के अच्छे कर्मों के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

2. यह कि यीशु सभी समान रूप से प्रतिष्ठित भविष्यद्वक्ताओं में से एक है।

3. यह कि वे लॉज अर्थात् समूह में चुप रहेंगे और मसीह की बात नहीं करेंगे।

4. यह कि वे आध्यात्मिक अन्धकार और अज्ञानता में से लॉज अर्थात् समूह की पहुँच में आ रहे हैं,

जबकि बाइबल कहती है कि मसीही विश्‍वासी पहले से ही ज्योति में हैं, ज्योति की सन्तान हैं, और संसार की ज्योति — यीशु मसीह में वास करते हैं।

5. मसीही विश्‍वासियों से मेसनरी के सदस्य होने की शपथ लेने की मांग करते हुए, मेसनरी मसीही विश्‍वासियों को ईशनिन्दा और परमेश्‍वर का नाम व्यर्थ में लेने की ओर मार्गदर्शन देते हैं।

6. मेसनरी यह शिक्षा देते हैं कि यह जी.ए.ओ.टी.यू. [ब्रह्माण्ड का महान वास्तुकार] है, जिसमें मेसनरी विश्‍वास करते हैं कि वही ब्रह्माण्ड का सच्चा परमेश्‍वर है, वही सभी धर्मों के सभी देवताओं का प्रतिनिधि है।

7. मेसनरी मसीही विश्‍वासियों को अपनी प्रार्थनाओं में एक विश्‍वव्यापी दृष्टिकोण को अपनाने के लिए मजबूर करते हैं, जिसमें एक "सामान्य" नाम की मांग की जाती है, ताकि गैर-विश्‍वासियों को कोई अपमान न हो, जो मेसन समूह के अन्य "भाई" हैं।

8. मेसन समूह की सदस्यता की शपथ ग्रहण करने और लॉज अर्थात् समूह के धर्मसिद्धान्तों में भाग लेने से मसीही विश्‍वासी लॉज के अन्य सदस्यों को झूठे सुसमाचार के ऊपर बने रहने को दृढ़ता प्रदान कर रहे हैं, जिन्होंने स्वर्ग तक पहुँचने के लिए मेसन आधारित मुक्ति की योजना को स्वीकार किया है। इस तरह के एक मिश्रित प्रकार के संगठन में उनकी सदस्यता ही से उन्होंने मसीही विश्‍वासियों के रूप में अपनी गवाही के साथ गम्भीरता से समझौता कर लिया है।

9. मेसन के दायित्व को लेने के द्वारा एक मसीही विश्‍वासी अपने मन, आत्मा और शरीर के दूषित होने के लिए उन लोगों को अनुमति देने के ऊपर सहमत है, जो झूठे देवताओं की सेवा करते हैं और झूठे धर्मसिद्धान्तों पर विश्‍वास करते हैं।

जैसा कि आप देख सकते हैं, मेसनरी पवित्रशास्त्र और कई अन्य विषय की स्पष्ट शिक्षा के विपरीत है। मेसनरी साथ ही लोगों को उन गतिविधियों में सम्मिलित करना भी आवश्यक मानते हैं, जिनकी निन्दा बाइबल करती है। परिणामस्वरूप, एक मसीही विश्‍वासी को किसी भी गुप्त समाज या संगठन का सदस्य नहीं होना चाहिए, जिसका फ्री मेसनरी के साथ किसी तरह का कोई सम्बन्ध है।

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