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प्रश्न

क्या बाइबल प्रतिज्ञा करती है कि भक्ति पूर्ण रीति से पालन पोषण सदैव भक्ति पूर्ण बच्चों (नीतिवचन 22:6) के परिणाम को ही देगा?

उत्तर


नीतिवचन 22:6 हमारे ध्यान को इस ओर आकर्षित करता है कि, "लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिए,/ और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा।" क्या यह वचन प्रतिज्ञा करता है कि बच्चों को भक्तिपूर्ण रीति से पालन पोषण करना सदैव ऐसे बच्चों के परिणाम को देगा जो वयस्क होने के समय परमेश्‍वर की आज्ञा का पालन करते हैं? उन सभी भक्तिपूर्ण या धर्म परायण माता-पिता के बारे में क्या कहा जाए, जिनके बच्चे विद्रोही हैं?

नीतिवचन, एक साहित्यिक रूप के रूप में, प्रत्यक्ष प्रतिज्ञा नहीं हैं; अपितु, वे जीवन के सामान्य अवलोकन हैं, जो सामान्य रूप से सत्य प्रमाणित होते हैं। यह हमें इस बात को समझाने में सहायता करता है कि कुछ माता-पिता ईमानदारी से अपने बच्चों को परमेश्‍वर का अनुसरण करने के लिए पालन पोषण करते हैं, तौभी बच्चा वयस्क होने के पश्‍चात् परमेश्‍वर के विरूद्ध विद्रोह करता है।

नीतिवचन 22:6 शिक्षा देता है कि यह सामान्य रूप से सच है कि एक बच्चा जिसका पालन पोषण भक्तिपूर्ण रीति से किया गया है, वयस्क होने पर परमेश्‍वर से प्रेम करता रहेगा। यह 3,000 वर्षों पहले के जीवन का अवलोकन था, और यह आज भी स्वयं में सत्य प्रमाणित हो रहा है। अधिकांश मसीही माता-पिता जो अपने बच्चों को पालन पोषण भक्तिपूर्ण रीति से करते हैं, वे उन बच्चों के लिए ऐसी विरासत अर्थात् धरोहर या मीरास को छोड़ देते हैं, जो वयस्क होने पर परमेश्‍वर से प्रेम करते हैं। "प्रभु की शिक्षा और चेतावनी" देते हुए एक बच्चे का पालन पोषण करने से (इफिसियों 6:4), बाद के जीवन में यह उस बच्चे में मसीह को थामे रखने की सम्भावना को नाटकीय रूप से बढ़ा देता है।

तीमुथियुस के जीवन में बाइबल का एक सबसे अच्छा उदाहरण पाया जा सकता है। 2 तीमुथियुस 1:5 में पौलुस कहता है, "मुझे तेरे उस निष्कपट विश्‍वास की सुधि आती है, जो पहले तेरी नानी लोइस और तेरी माता यूनीके में था, और मुझे निश्‍चय है कि तुझ में भी है।" तीमुथियुस की माता और नानी दोनों परमेश्‍वर से प्रेम करते थे और उन्होंने तीमुथियुस का पालन पोषण इसी रीति से किया था। तीमुथियुस पौलुस के समूह में एक युवा व्यक्ति के रूप में मिशनरी सहयोग देने के लिए सम्मिलित हो गया और उसका सबसे भरोसेमंद साथी बन गया। नए नियम में तीमुथियुस का नाम एक मिशनरी, प्रेरितों का सहयोगी और पास्टर के रूप में पच्चीस बार आया है।

भक्तिपूर्ण रीति से पालन पोषण करना आज आवश्यक है, ठीक वैसे ही जैसा कि यह पूरे इतिहास में पाया जाता है। पिता और माता परमेश्‍वर से प्रेम करने और परमेश्‍वर के लिए जीवन व्यतीत करने के लिए भक्तिपूर्ण रीति से युवा पुरुषों और स्त्रियों का पालन पोषण करने की कुँजी हैं। पास्टर, युवा अगुवों और अन्य ईश्‍वरीय प्रभावों के आशीषों के पश्‍चात् भी कोई भक्तिपूर्ण माता-पिता की भूमिका का स्थान नहीं ले सकता है, जो अपने मसीही विश्‍वास को दिखाते हुए जीवन व्यतीत करते और इसे अपने बच्चों को पारित कर देते हैं। यही कारण है कि नीतिवचन 22:6 का लेखक सही दावा कर सका कि, "लड़के को उसी मार्ग की शिक्षा दे जिसमें उसको चलना चाहिए,/ और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा।"

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क्या बाइबल प्रतिज्ञा करती है कि भक्ति पूर्ण रीति से पालन पोषण सदैव भक्ति पूर्ण बच्चों (नीतिवचन 22:6) के परिणाम को ही देगा?
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