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प्रश्न

व्यक्तिपरक अभेदता क्या है? कैसे यीशु एक ही समय में दोनों अर्थात् परमेश्‍वर और मनुष्य हो सकता है?

उत्तर


व्यक्तिपरक अभेदता या द्वि-तत्ववादी एकता शब्द का उपयोग इस बात की व्याख्या के लिए किया जाता है कि कैसे परमेश्‍वर पुत्र, यीशु मसीह ने, अपने ऊपर मानवीय स्वभाव को ओढ़ लिया, परन्तु फिर भी, वह उसी समय पूर्ण रूप से परमेश्‍वर भी बना रहा। यीशु सदैव परमेश्‍वर था (यूहन्ना 8:58, 10:30), परन्तु देहधारण या मानवतरण के समय यीशु एक पूर्ण मानव बन गया (यूहन्ना 1:14)। यीशु के ईश्वरीय स्वभाव के साथ मानवीय स्वभाव के जुड़ाव ने, उसे परमेश्‍वर-मानव बना दिया था। यही व्यक्तिपरक अभेदता या द्वि-तत्ववादी एकता है, यीशु मसीह, एक व्यक्ति है, पूर्ण परमेश्‍वर और पूर्ण मनुष्य।

यीशु के दो स्वभाव थे, मानवीय और ईश्‍वरीय, दोनों एक दूसरे से अविभाज्य हैं। यीशु सदैव परमेश्‍वर-मानव रहेगा, पूर्ण परमेश्‍वर और पूर्ण मानव, अर्थात् एक ही व्यक्ति में दो भिन्न स्वभाव। यीशु की मानवता और ईश्‍वरत्व आपस में मिश्रित नहीं हैं, अपितु अपनी पहचान खोए बिना एकता में हैं। यीशु ने कई बार मानवता की सीमाओं में रहते हुए कार्य किए (यूहन्ना4:6, 19:28) और अन्य समयों में अपने ईश्‍वरत्व की सामर्थ्य में (यूहन्ना 11:43; मत्ती 14:18-21)। दोनों ही स्थिति में, यीशु के कार्य एक ही व्यक्ति की ओर से किए गए थे। यीशु के पास दो स्वभाव थे, परन्तु व्यक्तित्व केवल एक ही था।

व्यक्तिपरक अभेदता या द्वि-तत्ववादी एकता का धर्मसिद्धान्त इस बात का उल्लेख करने का एक प्रयास है कि कैसे यीशु एक ही समय में दोनों अर्थात् परमेश्‍वर और मनुष्य हो सकता था। यद्यपि, यह अन्तत: केवल एक धर्मसिद्धान्त ही है, इसलिये हम इसे पूरी तरह से समझने के लिए सक्षम नहीं हैं। हमारे लिये यह समझना पूरी तरह से असम्भव है कि परमेश्‍वर कैसे कार्य करता है। हमें, मनुष्य होने के नाते हमारे सीमित मनों से, असीमित परमेश्‍वर को पूर्ण रूप से समझने की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए। यीशु परमेश्‍वर का पुत्र है जो पवित्र आत्मा की सामर्थ्य से गर्भ में आया (लूका 1:35)। परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि यीशु उसके गर्भ में आने से पहले अस्तित्व में नहीं था। यीशु सदैव अस्तित्व में था (यूहन्ना 8:58, 10:30)। जब यीशु गर्भ में आया, तो वह परमेश्‍वर होने के साथ ही मानवीय प्राणी भी बन गया (यूहन्ना 1:1, 14)।

यीशु दोनों अर्थात् परमेश्‍वर और मनुष्य है। यीशु सदैव से ही परमेश्‍वर रहा है, परन्तु वह तब तक एक मानवीय प्राणी नहीं बना जब तक वह मरियम में गर्भ में नहीं आया। यीशु एक मानवीय प्राणी इसलिए बना ताकि वह अपनी पहचान हमारे संघर्षों में हमारे साथ कर सकते (इब्रानियों 2:17) और, इससे भी अधिक महत्वपूर्ण यह है, कि हमारे पापों की जुर्माने को अदा करने के लिए क्रूस के ऊपर मर सके (फिलिप्पियों 2:5-11)। निष्कर्ष में, व्यक्तिपरक अभेदता या द्वि-तत्ववादी एकता यह शिक्षा देती है कि यीशु दोनों अर्थात् पूर्ण मनुष्य और पूर्ण ईश्वरीय था, यह कि उसके किसी भी स्वभाव में किसी तरह का कोई मिश्रण या कोई मिलावट नहीं थी, और यह कि वह अनन्तकाल के लिए, एक ही एकता वाला व्यक्ति है।

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व्यक्तिपरक अभेदता क्या है? कैसे यीशु एक ही समय में दोनों अर्थात् परमेश्‍वर और मनुष्य हो सकता है?
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