प्रश्न
यदि परमेश्वर पहले से ही जानता था कि शैतान विद्रोह करेगा, तो उसने उसे क्यों सृजा?
उत्तर
यह दो-भागों वाला एक प्रश्न है। पहला भाग यह है "क्या परमेश्वर जानता था कि शैतान विद्रोह करेगा?" हम पवित्रशास्त्र से जानते हैं, कि परमेश्वर सर्वज्ञानी है, जिसका शाब्दिक अर्थ "सब कुछ जानने-वाला।" अय्यूब 37:16; भजन संहिता 139:2–4, 147:5; नीतिवचन 5:21; यशायाह 46:9-10; और 1 यूहन्ना 3:19–20 किसी भी सन्देह को नहीं छोड़ते हैं, कि परमेश्वर का ज्ञान असीमित है और वह उस सब को जानता है जो भूतकाल में घटित हुआ है, वर्तमान में अभी हो रहा है, और जो भविष्य में घटित होगा।
इन संदर्भों में दी हुई कुछ अतिशयोक्तिपूर्ण प्रशंसाओं को देखने पर जैसे — "ज्ञान में पूर्ण"; "उसकी समझ की कोई सीमा नहीं"; "वह सब कुछ जानता है" — यह स्पष्ट हो जाता है कि परमेश्वर का ज्ञान हमारे अपने ज्ञान से कहीं उत्तम ही नहीं, वरन् यह असीमित रीति से महान् भी है। वह पूर्णता में सब कुछ जानता है। यदि परमेश्वर का ज्ञान सिद्ध नहीं होता, तब तो उसके स्वभाव में एक कमी पाई जाती। परमेश्वर के स्वभाव में किसी भी तरह की कमी का अर्थ यह है, कि वह परमेश्वर नहीं हो सकता है, क्योंकि परमेश्वर के सार के लिए उसके सभी गुणों में पूर्णता होना आवश्यक है। इसलिए, पहले प्रश्न का उत्तर "हाँ, में है कि परमेश्वर जानता था कि शैतान विद्रोह करेगा।"
प्रश्न के दूसरे भाग की ओर मुड़ते हुए, "क्यों परमेश्वर ने शैतान की सृष्टि की जबकि वह समय से पूर्व ही जानता था, कि वह विद्रोह करेगा?" यह प्रश्न थोड़ा सा चकरा देने वाला है, क्योंकि हम "क्यों" प्रश्नात्मक शब्द को पूछ रहे हैं, जिसके प्रति बाइबल सामान्य रूप से व्यापक उत्तर प्रदान नहीं करती है। इतना होने पर भी, हमें एक सीमित समझ तक को पहुँचने के योग्य होना चाहिए। हमने पहले ही देख लिया है, कि परमेश्वर सर्वज्ञानी है। इस कारण, यदि वह पहले से ही जानता था, कि शैतान विद्रोह करेगा और स्वर्ग से गिरा दिया जाएगा, तौभी उसने इसे क्यों रचा, इसका अर्थ यह हुआ कि शैतान का पतन आरम्भ से ही परमेश्वर की प्रभुता सम्पन्न योजना का भाग रहा है। इसके लिए कोई भी अन्य दिए जाने वाला उत्तर कोई अर्थ नहीं देता है, जैसे कि हमने अभी तक देखा है।
प्रथम, हमें यह समझना चाहिए कि यह जानना कि शैतान विद्रोह करेगा उस बात के तुल्य नहीं है, कि शैतान को विद्रोही बनाया गया। स्वर्गदूत लूसीफर के पास स्वतंत्र इच्छा थी और वह अपने निर्णय स्वयं ले सकता था। परमेश्वर ने शैतान को बुरा नहीं बनाया था: उसने उसे अच्छा बनाया था (उत्पत्ति 1:31)।
परमेश्वर ने शैतान को यह जानते हुए भी कि वह विद्रोह करेगा, क्यों रचा को समझने के प्रयास में, हमें निम्न लिखित तथ्यों के ऊपर विचार करना चाहिए :
1) शैतान के पतन से पहले लूसीफर के पास अच्छा और सिद्ध प्रयोजन था। लूसीफर का विद्रोह परमेश्वर की मूल मंशा को अर्थात् कुछ अच्छे से कुछ बुरे में परिवर्तित नहीं करता है।
2) परमेश्वर की प्रभुता का विस्तार, यहाँ तक उसकी पतित अवस्था में भी शैतान तक भी है। परमेश्वर शैतान के बुरे कार्यों को अन्तत: परमेश्वर की पवित्र योजना को पूरा करने के लिए उपयोग करने में सक्षम है (देखें 1 तीमुथियुस 1:20 और 1 कुरिन्थियों 5:5)।
3) परमेश्वर के उद्धार की योजना अनादिकाल में ठहरा दी गई थी (प्रकाशितवाक्य 13:8); उद्धार में किसी बात को किसी से बचाए जाने की शर्त होती है, और इसलिए परमेश्वर ने शैतान के विद्रोह को और पाप के विस्तार को होने दिया।
4) वह पीड़ा जो शैतान इस संसार में ले आया है, वास्तव में वे तरीके बन जाती हैं, जिनके द्वारा यीशु, अपनी मानवता में, मानवजाति के लिए पूर्ण और सिद्ध उद्धारकर्ता बन गया: "क्योंकि जिन के लिए सब कुछ है और जिनके द्वारा सब कुछ है, उसे यही अच्छा लगा कि जब वह बहुत से पुत्रों को महिमा में पहुँचाए, तो उनके उद्धार के कर्ता को दु:ख उठाने के द्वारा सिद्ध करे" (इब्रानियों 2:10)।
5) आरम्भ से ही, मसीह में परमेश्वर की योजना में शैतान के कार्यों को नष्ट करना सम्मिलित है (देखें 1 यूहन्ना 3:8)।
अन्त में, हम निश्चित रूप से नहीं जानते हैं कि क्यों परमेश्वर ने शैतान की रचना की है, यह जानते हुए भी कि वह विद्रोह करेगा। यह अनुमान लगाना परीक्षा में डालने वाला है, कि घटनाएँ "उत्तम" होती यदि शैतान की रचना ही नहीं की गई होती या फिर यह घोषित करना कि परमेश्वर ने किसी भिन्न तरीके से कार्य को किया होता। परन्तु इस तरह के अनुमान और घोषणाएँ बुद्धिमानी से भरी हुई नहीं हैं। सच्चाई तो यह है, कि यह दावा करना कि हम परमेश्वर से अधिक जानते हैं कि ब्रह्माण्ड को कैसे चलाना है, स्वयं को शैतान के द्वारा स्वयं को परम प्रधान से ऊपर उठाने वाले पाप में ही गिरा लेना है (यशायाह 14:13–14)।
English
यदि परमेश्वर पहले से ही जानता था कि शैतान विद्रोह करेगा, तो उसने उसे क्यों सृजा?