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प्रश्न

अवैध आप्रवासन के बारे में बाइबल क्या कहती है?

उत्तर


रोमियों 13:1-7 बहुतायत के साथ स्पष्ट करता है कि परमेश्‍वर यह अपेक्षा करता है कि हमें सरकार द्वारा निर्मित कानूनों का पालन करना चाहिए। इसका एकमात्र अपवाद तब होता है, जब सरकार का कोई कानून आपको परमेश्‍वर की आज्ञा का उल्लंघन करने के लिए मजबूर करता है (प्रेरितों के काम 5:29)। अवैध आप्रवास एक सरकारी कानून का उल्लंघन है। पवित्र शास्त्र में ऐसा कुछ भी नहीं है, जो एक ऐसे देश के कानूनों के विपरीत हो, जो आप्रवास सम्बन्धी कानूनों का उपयोग करते हैं। इसलिए, यह एक पाप है, परमेश्‍वर के विरूद्ध विद्रोह है, अवैध रूप से दूसरे देश में प्रवेश करना है।

अवैध आप्रवास निश्चित रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका (और कुछ अन्य देशों) में एक विवादास्पद विषय है। कुछ लोग तर्क देते हैं कि आप्रवासन कानून अनुचित, अन्यायपूर्ण और यहाँ तक कि भेदभावपूर्ण भी हैं — ऐसा कहना अवैध रूप से आप्रवास करने के लिए लोगों को सही ठहराना है। तथापि, रोमियों 13:1-7 कानून का उल्लंघन करने की कोई अनुमति नहीं देता, क्योंकि यह सही नहीं है। एक बार फिर से यह विषय कानून की निष्पक्षता का नहीं है। एक सरकारी कानून का उल्लंघन करने का एकमात्र बाइबल आधारित कारण यह है कि यदि वह कानून परमेश्‍वर के वचन का उल्लंघन करता है। जब पौलुस ने रोमियों की पुस्तक लिखी, तब वह रोमन साम्राज्य के अधीन था, कदाचित् उस समय जिसका नेतृत्व रोमन साम्राज्य के सबसे बुरे सम्राटों में से एक नीरो के द्वारा किया जा रहा था। उसके शासनकाल में, कई कानून थे, जो अनुचित, अन्यायपूर्ण थे, और/या अपने उच्चत्तम रूप में बुरे थे। तथापि, पौलुस ने मसीही विश्‍वासियों को सरकार के प्रति अधीन होने का निर्देश दिया।

क्या संयुक्त राज्य अमेरिका के आव्रजन या आप्रवासी कानून अनुचित या अन्यायपूर्ण हैं? कुछ ऐसा सोचते हैं, लेकिन वास्तविक विषय यह नहीं है। संसार के सभी विकसित देशों में आप्रवासन कानून हैं, कुछ के तो संयुक्त राज्य अमरीका से अधिक कठोर हैं और कुछ के संयुक्त राज्य अमेरिका से थोड़े नरम हैं। बाइबल में ऐसा कुछ नहीं जो किसी एक देश को पूरी तरह से खुली सीमाओं को रखने या पूरी तरह से बन्द सीमाओं को रखने वाले देश के प्रति कुछ मनाही करता है। रोमियों 13:1-7 भी सरकार को कानून तोड़ने वालों को दण्डित करने का अधिकार देता है। चाहे यह दण्ड कारावास और/या निर्वासन, या इससे भी अधिक गम्भीर ही क्यों न हो, इसे निर्धारित करना एक सरकार के अधिकारों के भीतर की बात है।

संयुक्त राज्य में अवैध आप्रवासियों का विशाल बहुमत सर्वोत्तम जीवन को प्राप्त करने, अपने परिवारों के लिए सहायता प्रदान करने और निर्धनता से बचने के उद्देश्य से आया है। ये अच्छे लक्ष्य और प्रेरणाएँ हैं। तथापि, कुछ "अच्छा" प्राप्त करने के लिए यह कानून का उल्लंघन किया जाना बाइबल आधारित नहीं है। गरीबों, अनाथों और विधवाओं की देखभाल करने के लिए बाइबल हमें बहुत कुछ करने के लिए आदेश देती है (गलातियों 2:10; याकूब 1:27; 2:2-15)। यद्यपि, बाइबल आधारित तथ्य यह है कि हम हमारे दुर्भाग्य से भरे हुए जीवन की देखभाल करना चाहते हैं। इसका अर्थ यह नहीं है कि हमें ऐसा करने में कानून का उल्लंघन करना चाहिए। इसलिए अवैध आप्रवासन को सहायता देना, सक्षम करना और/या प्रोत्साहित करना परमेश्‍वर के वचन का उल्लंघन भी है। किसी दूसरे देश में आप्रवासन करने की मांग करने वालों को उस देश के आव्रजन कानूनों का पालन करना चाहिए। जबकि इससे देरी और निराशा हो सकती है, परन्तु ये कारण किसी भी व्यक्ति को कानून का उल्लंघन करने का अधिकार नहीं देते हैं।

अवैध आप्रवासन के लिए बाइबल आधारित समाधान क्या है? सरल समाधान... ऐसा मत करो; कानूनों का पालन करना। यदि अवज्ञा एक बाइबल आधारित विकल्प नहीं है, तब एक अन्याय से पूर्ण आव्रजन कानून के सम्बन्ध में क्या किया जा सकता है? यह पूरी तरह से नागरिकों के अधिकारों के भीतर है, कि वे आव्रजन कानूनों में परिवर्तन लाए जाने की माँग करें। यदि यह आपका विश्‍वास है कि एक आव्रजन कानून अन्यायपूर्ण है, तब उस कानून में परिवर्तन लाने के लिए प्रत्येक सम्भव वैध तरीके का उपयोग करें जैसे : प्रार्थना, याचिका दायर करना, वोट डालना, शान्तिपूर्ण विरोध इत्यादि करना। मसीही विश्‍वासियों के नाते हमें ही सबसे पहले किसी भी कानून को परिवर्तित करने का प्रयास करना चाहिए, ऐसा कानून जो अन्यायपूर्ण है। ठीक इसी समय, हमें भी सरकार के प्रति अपने अधीनता को आज्ञा पालन करने के द्वारा परमेश्‍वर के प्रति अपने समर्पण को प्रदर्शित करते रहना चाहिए, जिसे उसने हमारे ऊपर अधिकार के रूप में रखा है।

"प्रभु के लिये मनुष्यों के ठहराए हुए हर एक प्रबन्ध के आधीन में रहो, राजा के इसलिये कि वह सब पर प्रधान है। और हाकिमों के, क्योंकि वे कुकर्मियों को दण्ड देने और सुकर्मियों की प्रशंसा के लिये उसके भेजे हुए हैं। क्योंकि परमेश्‍वर की इच्छा यह है कि तुम भले काम करने से निर्बुद्धि लोगों की अज्ञानता की बातों को बन्द कर दो। अपने आप को स्वतन्त्र जानो, पर अपनी इस स्वतन्त्रता को बुराई के लिये आड़ न बनाओ; परन्तु अपने आप को परमेश्‍वर के दास समझकर चलो" (1 पतरस 2:13–16)।

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