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प्रश्न

एक कलीसिया को छोड़ना कब सही है?

उत्तर


कदाचित् इस प्रश्‍न को समझने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि एक व्यक्ति के पास एक कलीसिया को छोड़ने का कारण है या नहीं, मूल बात वापस मूल धर्मसिद्धान्त की ओर जाने की है। कलीसिया का उद्देश्य क्या है? बाइबल स्पष्ट करती है कि कलीसिया "सत्य का खम्भा और नींव [भूमि] है" (1 तीमुथियुस 3:15)। इसी सच्चाई के ऊपर कलीसिया का ढांचा, शिक्षा, आराधना, कार्यक्रम और गतिविधियाँ सब कुछ केन्द्रित हैं। इसके अतिरिक्त, कलीसिया में यीशु मसीह को ही इसके एकमात्र सिर के रूप में पहचान जाना चाहिए (इफिसियों 1:22; 4:15; कुलुस्सियों 1:18) और सभी बातों में उसके प्रति अधीन होना चाहिए। स्पष्ट है, कि ये बातें केवल तब ही की जा सकती हैं, जब कलीसिया बाइबल को अपने मापदण्ड और अधिकार का रूप मानते हुए उसके ऊपर टिकी होती है। दु:ख की बात है, आज कुछ कलीसियाएँ इस वर्णन के अनुरूप नहीं पाई जाती हैं।

एक कलीसिया को छोड़ने की इच्छा रखने वाले विश्‍वासियों के पास इसके लिए स्पष्ट कारण होने चाहिए। यदि कलीसिया सत्य का प्रचार नहीं करती है या बाइबल नहीं सिखाती है और मसीह का आदर नहीं करती है और उस क्षेत्र में एक और कलीसिया है, जो इन सभी बातों का पालन करती हैं, तब तो उस कलीसिया को छोड़ने का कारण बन जाता है। यद्यपि, उसी कलीसिया में बने रहने और अच्छे परिणामों की प्राप्ति की आशा में कार्य करते रहना एक विषय बन सकता है। हमें "उस विश्‍वास के लिये पूरा यत्न करना है जिसे पवित्र लोगों को एक ही बार सौंपा गया था" (यहूदा 1:3)। यदि एक व्यक्ति और अधिक बाइबल आधारित, मसीह-का आदर करने वाली कलीसिया की दिशा की ओर परिवर्तन को ले आने की आवश्यकता के प्रति दृढ़ता को स्वयं में पाता है और वह इसे प्रेम से कर सकता है, तो उसका उसी कलीसिया में बने रहना एक सर्वोत्तम गतिविधि हो सकता है।

बाइबल एक कलीसिया को छोड़ने के तरीके पर किसी प्रक्रिया की रूपरेखा को नहीं देती है। कलीसिया के आरम्भिक दिनों में, एक विश्‍वासी को एक दूसरी कलीसिया की खोज में दूसरे शहर जाना पड़ता होगा। आज कुछ स्थानों पर, ऐसा प्रतीत होता है कि कलीसिया प्रत्येक कोने पर स्थित है और दुख की बात है, कि कई विश्‍वासियों ने समस्या का सामना करने की अपेक्षा एक कलीसिया को छोड़ते हुए दूसरे किनारे पर स्थित दूसरी कलीसिया में चले जाते हैं। क्षमा, प्रेम और एकता विश्‍वासियों के चरित्र में होने चाहिए (यूहन्ना 13:34-35; कुलुस्सियों 3:13; यूहन्ना 17:21-23), कड़वाहट और विभाजन नहीं (इफिसियों 4: 31-32)।

क्या एक मसीही विश्‍वासी कलीसिया को छोड़ने के लिए अगुवाई को महसूस कर सकता है, यह इस बात में महत्वपूर्ण है कि वह ऐसा तब ही कर सकता/सकती है, जब उसकी यह गतिविधि अनावश्यक विभाजन या विवाद का कारण नहीं बनती है (नीतिवचन 6:19; 1 कुरिन्थियों 1:10)। बाइबल की शिक्षा में कमी का सामना यदि करना पड़ रहा है, तो आपकी अगली गतिविधि स्पष्ट है और एक नई कलीसिया की खोज की जानी चाहिए। यद्यपि, कलीसिया की सेवकाई में भाग न लेने की स्वयं की कमी के कारण बहुत से लोगों में कलीसिया के प्रति असन्तोष है। कलीसिया के द्वारा आत्मिक रूप से भोजन खिलाया जाना कहीं अधिक आसान हो जाता है, जब एक व्यक्ति दूसरों को "खिलाने" में स्वयं सक्रिय भूमिका निभाता है। इफिसियों 4:11-14 में कलीसिया का उद्देश्य स्पष्ट रूप से उल्लिखित है। इस सन्दर्भ को कलीसिया चुनने और खोजने में स्यवं के लिए मार्गदर्शक बनने दें।

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एक कलीसिया को छोड़ना कब सही है?
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