प्रश्न
क्या स्वर्ग में विवाह होगा?
उत्तर
बाइबल हमें बताती है, "जी उठने पर वे न विवाह करेंगे और न विवाह में दिए जाएँगे, परन्तु स्वर्ग में परमेश्वर के दूत के समान होंगे" (मत्ती 22:30)। यही था यीशु का उत्तर उस स्त्री के सम्बन्ध में किए हुए प्रश्न के प्रति जिसने उसके जीवन में कई बार विवाह किया था — वह स्वर्ग में किसकी किसकी पत्नी होगी (मत्ती 22:23-28)? इससे स्पष्ट होता है,कि स्वर्ग में इस तरह की कोई बात नहीं है। इसका अर्थ यह नहीं है कि स्वर्ग में एक पति अपनी पत्नी को नहीं जानेगा। इसका अर्थ यह भी नहीं है कि एक पति और पत्नी का स्वर्ग में निकटता का सम्बन्ध नहीं होगा। यद्यपि, यह जिस बात को यह इंगित कर रहा है, वह यह है कि स्वर्ग में एक पति और पत्नी में विवाह नहीं होगा।
ज्यादा सम्भावना यह है, कि स्वर्ग में कोई विवाह बस केवल इसलिए नहीं होगा क्योंकि वहाँ पर इसकी और अधिक आवश्यकता नहीं रहेगी। जब परमेश्वर ने विवाह को स्थापित किया था, तब उसने ऐसा कुछ आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया था। प्रथम, उसने देखा कि आदम को एक साथी की आवश्यकता थी। "फिर यहोवा परमेश्वर ने कहा, 'आदम का अकेला रहना अच्छा नहीं है; मैं उसके लिये एक ऐसा सहायक बनाऊँगा जो उस से मेल खाए"' (उत्पत्ति 2:18)। हव्वा आदम के अकेलेपन की समस्या का समाधान थी, साथ ही वह उसके लिए एक "सहायक" की आवश्यकता को पूरी करती थी, अर्थात् कोई व्यक्ति जो साथ में एक साथी के रूप में खड़ा होता है और पूरे जीवन उसके साथ ही रहता है। तथापि, स्वर्ग में, किसी भी तरह का कोई अकेलापन नहीं रहेगा, न ही वहाँ पर किसी सहायक की कोई आवश्यकता होगी। हम वहाँ पर विश्वासियों की भीड़ और स्वर्गदूतों के साथ घिरे हुए रहेंगे (प्रकाशितवाक्य 7:9), और हमारी सारी आवश्यकताएँ पूरी की जाएँगी, जिसमें हमारे लिए साथी की आवश्यकता का होना भी सम्मिलित है।
दूसरा, परमेश्वर ने विवाह को सन्तानोत्पत्ति के लिए और इस पृथ्वी को मनुष्यों से भरने के लिए रचा था। तथापि, स्वर्ग में जनसँख्या सन्तान उत्पत्ति के द्वारा नहीं भरी जाएगी। वहाँ पर प्रवेश करने वाले प्रभु यीश मसीह में विश्वास करने के द्वारा ही जाएँगे; उन्हें किसी भी तरीके से पुनर्उत्पादन के द्वारा निर्मित नहीं किया जाएगा। इसलिए, स्वर्ग में विवाह का कोई उद्देश्य नहीं है क्योंकि वहाँ पर सन्तानोत्पत्ति या अकेलापन दोनों ही नहीं हैं।
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