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प्रश्न

बाइबल गर्भ गिरने के बारे में क्या कहती है?

उत्तर


कदाचित् गर्भ गिरने के पश्चात् सबसे सामान्य लोग यह पूछते हैं कि, "ऐसा क्यों हुआ?" या "परमेश्‍वर ने मेरे साथ ऐसा क्यों किया?" इन प्रश्नों का उत्तर कोई आसान उत्तर नहीं है। वास्तव में, इसके लिए कोई संतोषजनक निष्कर्ष नहीं है कि हम कभी यह पता लगा पाएँगे कि लोगों के साथ बुरी बातें क्यों घटित होती हैं, विशेष रूप से निर्दोष बच्चों के साथ, जिनका अभी जन्म भी नहीं हुआ है। हमें यह समझा चाहिए कि परमेश्‍वर हमारे पास से हमारे प्रियों को किसी निर्दयी दण्ड के कारण नहीं ले लेता है। बाइबल हमें बताती है कि "अब जो मसीह यीशु में हैं, उन पर दण्ड की आज्ञा नहीं है" (रोमियों 8:1)।

गर्भ का गिर जाना सामान्य रूप से भ्रूण में असामान्य गुणसूत्र पद्धति के कारण होता है। जब इन असामान्यताओं का पता चल जाता है, तब विकास रूक जाता है और इसका परिणाम प्राकृतिक गर्भपात में होता है। अन्य उदाहरणों में, प्राकृतिक गर्भपात गर्भाशय में कुरूपताओं, हार्मोन सम्बन्धी असामान्यताओं, प्रतिरक्षा प्रणाली, पुराने संक्रमण, और बीमारियों की समस्याओं के कारण होते हैं। हजारों वर्षों के पाप, मृत्यु और व्यक्तिगत् विनाश के पश्चात् हमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि आनुवंशिक विकार अन्ततः सामान्य हो जाएँगे।

बाइबल विशेष रूप से प्राकृतिक रूप से होने वाले गर्भपात के बारे में टिप्पणी नहीं करती है। यद्यपि, हम यह सुनिश्चित हो सकते हैं कि परमेश्‍वर उन पर दया करता है, जिन्होंने इसका सामना किया है। वह रोता और हमारे साथ दुखित होता है, केवल इसलिए क्योंकि वह हमें प्रेम करता है और हमारी पीड़ा का अनुभव करता है। परमेश्‍वर के पुत्र यीशु मसीह ने सभी विश्‍वासियों के पास उसके आत्मा को भेजने की प्रतिज्ञा की है, ताकि उन्हें अकेले ही परीक्षाओं में से नहीं जाना पड़े (यूहन्ना 14:16)। यीशु ने मत्ती 28:20 में कहा है, "और देखो: मैं जगत के अन्त तक सदा तुम्हारे संग हूँ।"

किसी भी मसीही विश्‍वासिन, जिसने प्राकृतिक रूप से हो जाने वाले गर्भपात के दु:ख को उठाया है, के पास ऐसा महिमामयी विश्‍वास होना चाहिए कि एक दिन वह उसके बच्चे को फिर से देखेगी। एक अजन्मा बच्चा न केवल परमेश्‍वर के लिए एक भ्रूण या "तँतुओं का एक टुकड़ा" है, अपितु उसकी सन्तान में से एक है। यिर्मयाह 1: 5 कहता है कि परमेश्‍वर हमें तब से जानता है, जब हम गर्भ में होते हैं। विलाप 3:33 हमें बताता है कि परमेश्‍वर "मनुष्यों को अपने मन से न तो दबाता है और न दु:ख देता है।" यीशु ने हम से शान्ति के एक ऐसे वरदान की प्रतिज्ञा की है, जो इस संसार के किसी भी वरदान के विपरीत है (यूहन्ना 14:27)।

रोमियों 11:36 हमें स्मरण दिलाता है कि प्रत्येक वस्तु परमेश्‍वर की सामर्थ्य और उसकी महिमा को ले आने के उद्देश्य के लिए विद्यमान है। यद्यपि, वह हम पर दण्ड के कारण दु:खों को नहीं आने देता है, तथापि वह इन्हें हमारे जीवनों में इसलिए आने देता है कि हम उन्हें उसकी महिमा को ले आने के लिए उपयोग करें। यीशु ने कहा है, "मैंने ये बातें तुम से इसलिये कहीं है कि तुम्हें मुझ में शान्ति मिले। संसार में तुम्हें क्लेश होता है, परन्तु ढाढ़स बाँधो, मैंने संसार को जीत लिया है" (यूहन्ना 16:33)।

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