प्रश्न
बाइबल में वाक्यांश "केवल विश्वास" का एक ही बार प्रगट होना (याकूब 2:24) ऐसे कहता है कि उद्धार केवल विश्वास से नहीं है, तो आप कैसे केवल विश्वास से ही उद्धार होने में विश्वास कर सकते हैं?
उत्तर
यह पूरी तरह से सच है कि बाइबल में एक वचन जिसमें सटीक वाक्यांश "केवल विश्वास" सम्मिलित है, केवल विश्वास के द्वारा ही उद्धार होने के विरूद्ध तर्क देता है। याकूब 2:24 पढ़ता है, "इस प्रकार तुम ने देख लिया कि मनुष्य केवल विश्वास से ही नहीं, वरन् कर्मों से भी धर्मी ठहरता है।" यद्यपि, इस वचन के आधार पर केवल विश्वास के द्वारा उद्धार के होने के धर्मसिद्धान्त का इन्कार कर देने से दो समस्याएँ उठ खड़ी होती हैं। सबसे पहले, याकूब 2:24 का सन्दर्भ केवल विश्वास से उद्धार के धर्मसिद्धान्त के विरूद्ध दलील नहीं दे रहा है। दूसरा, बाइबल को केवल विश्वास से उद्धार को स्पष्ट रूप से सिखाने के लिए सटीक वाक्यांश "केवल विश्वास" को देने की कोई आवश्यकता नहीं है।
याकूब 2:14-26, और विशेष रूप से वचन 24, कुछ भ्रमित व्याख्याओं का विषय रहा है। यह सन्दर्भ निश्चित रूप से "केवल विश्वास के द्वारा उद्धार" की धारणा के प्रति गम्भीर समस्याओं को उत्पन्न करता है। सबसे पहले, हमें एक गलत समझ को दूर करने की आवश्यकता है, अर्थात्, याकूब का उसी बात के अर्थ याकूब 2:24 में शब्द "धर्मी" के द्वारा देता है, जिसे पौलुस रोमियों 3:28 में देता है। पौलुस "परमेश्वर द्वारा घोषित धार्मिकता" के अर्थ के लिए शब्द धार्मिकता का उपयोग कर रहा है। पौलुस हमारे ऊपर लागू होने वाली परमेश्वर की वैधानिक घोषणा के बारे में बात कर रहा है, क्योंकि मसीह की धार्मिकता हमारे जीवन के ऊपर लागू होती है। याकूब शब्द धार्मिकता के अर्थ को "प्रदर्शित और प्रमाणित होने" के उपयोग कर रहे हैं।
याकूब 2:24 को इस तरह से प्रस्तुत किया जा सकता है: "इस तरह तुम देखते हो कि एक व्यक्ति को जो कुछ भी करता है वह उसकी धार्मिकता माना जाता है, न कि केवल विश्वास से" (वचन पर जोर दिया गया है)। पूरा का पूरा याकूब 2:14-26 का सन्दर्भ आपके द्वारा किए गए कार्यों से आपके विश्वास की वास्तविकता को प्रमाणित करने के बारे में है। यीशु मसीह में विश्वास से होने वाला एक वास्तविक उद्धार का अनुभव अनिवार्य रूप से अच्छे कामों के परिणाम को उत्पन्न करेगा (इफिसियों 2:10)। काम विश्वास का प्रदर्शन और प्रमाण हैं (याकूब 2:18)। कामों के बिना विश्वास व्यर्थ है (याकूब 2:20) और मरा हुआ है (याकूब 2:17); दूसरे शब्दों में, यह किसी भी रीति से सही विश्वास नहीं है। उद्धार केवल विश्वास से है, परन्तु वह विश्वास कभी अकेला नहीं होता है।
जबकि याकूब 2:24 ही एकमात्र ऐसा वचन है, जिसमें सटीक वाक्यांश "केवल विश्वास" पाया जाता है, वहीं कई अन्य वचन ऐसे हैं, जो वास्तव में विश्वास से ही उद्धार के होने को सिखाते हैं। कोई भी वचन जो विश्वास/भरोसा के प्रति उद्धार की व्याख्या करता है, किसी अन्य शर्त के साथ नहीं, यह घोषणा है कि उद्धार केवल विश्वास से ही है। यूहन्ना 3:16 घोषित करता है कि "जो कोई भी उस पर विश्वास करता है" उसे मुक्ति दी जाती है। प्रेरितों के काम 16:31 ने घोषणा की है कि, "प्रभु यीशु पर विश्वास कर, और तू बचाया जाएगा।" इफिसियों 2:8 कहता है, "अनुग्रह के द्वारा विश्वास से ही तुम बचाए गए हो।" इन्हें भी देखें, रोमियों 3:28; 4:5; 5:1; गलतियों 2:16; 3:24; इफिसियों 1:13; और फिलिप्पियों 3:9 इत्यादि। इनके अतिरिक्त कई अन्य वचनों को उद्धृत किया जा सकता है।
संक्षेप में, याकूब 2:24 केवल विश्वास से उद्धार के विरूद्ध दलील नहीं देता है। इसकी अपेक्षा, यह एक ऐसी मुक्ति के विरूद्ध तर्क देता है, जो अकेली है, यह ऐसा उद्धार है, जो अच्छे कामों से रहित और परमेश्वर के वचन की अवज्ञा से भरा हुआ है। याकूब का मुख्य बिन्दु यह है कि हम अपने उस विश्वास को दर्शाते हैं, जिसे हम कार्य में करते हैं (याकूब 2:18)। सटीक वाक्यांश "केवल विश्वास" की अनुपस्थिति के बिना भी, नया नियम निश्चित रूप से सिखाता है कि उद्धार हमारे विश्वास के प्रतिउत्तर में परमेश्वर के अनुग्रह का उत्पाद है। "तो, घमण्ड करना कहाँ रहा? उसकी तो जगह ही नहीं। कौन सी व्यवस्था के कारण से...वरन् विश्वास की व्यवस्था के कारण से" (रोमियों 3:27)। कोई अन्य शर्त नहीं दी गई है।
English
बाइबल में वाक्यांश "केवल विश्वास" का एक ही बार प्रगट होना (याकूब 2:24) ऐसे कहता है कि उद्धार केवल विश्वास से नहीं है, तो आप कैसे केवल विश्वास से ही उद्धार होने में विश्वास कर सकते हैं?