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प्रश्न

महामारी से सम्बन्धित रोगों के बारे में बाइबल क्या कहती है?

उत्तर


इबोला या कोरोना वायरस जैसी महामारी सम्बन्धी रोगों के विभिन्न प्रकोपों ने कई लोगों को यह पूछने के लिए उकसाया है कि परमेश्वर क्यों अनुमति देता है- या यह कि क्या महामारी सम्बन्धी रोग और क्या ऐसी बीमारियाँ अन्त के समय का संकेत हैं। बाइबल, विशेष रूप से पुराने नियम में, ऐसे कई अवसरों का वर्णन किया गया है, जब परमेश्वर अपने लोगों और अपने दुश्मनों पर "अपनी सामर्थ्य दिखाने" के लिए विपत्तियों को ले आया था (निर्गमन 9:14, 16)। उसने मिस्रियों पर फिरौन के ऊपर इस्राएलियों को बन्धन से छोड़ने के लिए मजबूर होने के लिए विपत्तियों को उपयोग किया, जबकि उसके अपने लोगों को उनसे प्रभावित होने से बचाया (निर्गमन 12:13; 15:26), इस प्रकार उसने रोग और अन्य कष्टों पर अपने सार्वभौमिक नियन्त्रण का संकेत दिया।

परमेश्वर ने अपने लोगों को अवज्ञा के परिणामों के बारे में चेतावनी दी थी, जिसमें विपत्तियाँ भी शामिल हैं (लैव्यव्यवस्था 26:21, 25)। दो अवसरों पर, परमेश्वर ने अवज्ञा से भरे हुए विभिन्न कामों के कारण 14,700 लोगों और 24,000 लोगों को नष्ट किया था (गिनती 16:49 और 25:9)। मूसा की व्यवस्था को दिए जाने के बाद, परमेश्वर ने लोगों को आज्ञा दी थी कि वे इसकी बात को मानें या फिर कई बुराइयों का सामना करें, जिनमें कुछ ऐसी ही हैं, जो इबोला की तरह प्रतीत होती है: “यहोवा परमेश्वर तुझ को क्षयरोग से, और ज्वर, और दाह से . . . उस समय तक तेरा पीछा किये रहेंगे, जब तक तेरा सत्यानाश न हो जाए” (व्यवस्थाविवरण 28:22)। ये परमेश्वर के द्वारा आई कई विपत्तियों और बीमारियों के कुछ उदाहरण हैं।

कभी-कभी अपने लोगों के प्रति इस तरह के क्रोध और रोष को प्रदर्शित करते हुए एक प्रेमी और दयालु परमेश्वर की कल्पना करना कठिन प्रतीत होती है। परन्तु परमेश्वर के दण्डों में सदैव पश्चाताप और बहाली का लक्ष्य होता है। 2 इतिहास 7:13–14 में, परमेश्‍वर ने सुलैमान से कहा कि, “यदि मैं आकाश को ऐसा बन्द करूँ, कि वर्षा न हो, या टिड्डियों को देश उजाड़ने की आज्ञा दूँ, या अपनी प्रजा में मरी फैलाऊँ, तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूँगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूँगा।" यहाँ पर हम परमेश्वर के द्वारा उसके लोगों को उसकी ओर आकर्षित करने के लिए आपदा का उपयोग, पश्चाताप को ले आने और अपने स्वर्गीय पिता के पास उसकी सन्तान के रूप में आने के लिए इच्छा को उत्पन्न करने के लिए करते हुए देखते हैं ।

नए नियम में, यीशु ने "हर प्रकार की बीमारी और दुर्बलता," के साथ-साथ उन क्षेत्रों में विपत्तियों को भी चँगा किया, जहाँ-जहाँ वह गया था (मत्ती 9:35; 10:1; मरकुस 3:10)। जिस तरह परमेश्वर ने इस्राएलियों को अपनी सामर्थ्य दिखाने के लिए विपत्तियों और बीमारियों का उपयोग करना चुना था, ठीक उसी तरह यीशु ने उसी सामर्थ्य के द्वारा चँगा करने के कार्य को एक प्रदर्शन के रूप में यह प्रमाणित करने के लिए किया कि वह वास्तव में परमेश्वर का पुत्र है। उसने अपने शिष्यों को उनकी सेवकाई को सत्यापित करने के लिए इसी चँगाई की सामर्थ्य को दिया है (लूका 9:1)। परमेश्वर अभी भी अपने प्रयोजनों को पूरा करने लिए बीमारी की आने की अनुमति देता है, परन्तु कभी-कभी रोग, यहाँ तक कि सारे संसार में महामारी, मात्र पाप में पतित एक संसार में रहने के परिणाम स्वरूप होती है। यह निर्धारित करने का कोई तरीका नहीं है कि महामारी का विशेष रूप से कोई आत्मिक कारण है या नहीं, परन्तु हम जानते हैं कि परमेश्वर का सभी चीजों के ऊपर सार्वभौमिक नियन्त्रण है (रोमियों 11:36) और जो लोग परमेश्‍वर से प्रेम रखते हैं, और उसे जानते हैं, उन्हें पता है कि उनके लिये सब बातें मिलकर भलाई ही को उत्पन्न करती हैं (रोमियों (8:28)।

इबोला और कोरोना वायरस जैसी बीमारियों का प्रसार उन महामारियों का पूर्वस्वाद है, जो अन्त के समय का हिस्सा होगीं। यीशु ने अन्तिम दिनों से जुड़ी भविष्य की विपत्तियों का उल्लेख किया है (लूका 21:11)। प्रकाशितवाक्य 11 के दो गवाहों को “अधिकार दिया है कि वे जब जब चाहें तब तब पृथ्वी पर हर प्रकार की विपत्ति लाएँ” (प्रकाशितवाक्य 11:6)। सात स्वर्गदूत प्रकाशितवाक्य 16 में वर्णित गम्भीर और अन्तिम न्याय के लिए सात विपत्तियों की एक श्रृंखला को उण्डेल देते हैं।

महामारी से सम्बन्धित रोगों की उपस्थिति का होना परमेश्वर की ओर से पाप का विशेष रूप से न्याय किए जाने से जुड़ा हुआ हो सकता है या नहीं भी हो सकता है। यह पतित संसार में रहने का परिणाम भी हो सकता है। चूंकि कोई भी यीशु के लौटने का समय नहीं जानता है, हमें यह कहने में सावधानी बरतनी चाहिए कि विश्वव्यापी महामारी इस बात का प्रमाण है कि हम अंतिम समय में जी रहे हैं। क्योंकि जो लोग यीशु मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में नहीं जानते हैं, उनके लिए बीमारी को एक यादगारी होना चाहिए कि इस पृथ्वी पर जीवन कठिन है और इसे किसी भी क्षण खोया जा सकता है। महामारी जितनी बुरी होगी, नरक उससे भी कहीं अधिक उतना ही ज्यादा बुरा होगा। यद्यपि, मसीह विश्वासी के पास उद्धार का आश्वासन और अनन्त काल की आशा है, क्योंकि मसीह का लहू हमारे लिए क्रूस पर बहाया गया है (यशायाह 53:5; 2 कुरिन्थियों 5:21; इब्रानियों 9:28)।

मसीह विश्वसियों को महामारी सम्बन्धी रोगों के प्रति कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त करनी चाहिए? पहला, घबराए मत। सब कुछ परमेश्वर के हाथ में है। बाइबल 300 से अधिक बार कहती है कि "डरो मत"। दूसरा, बुद्धिमान बनें। बीमारी के सम्पर्क से बचने और अपने परिवार को सुरक्षा और पोषण सम्बन्ध चीजों के लिए उचित कदम उठाएँ। तीसरा, सेवकाई के लिए अवसरों की खोज करें। अक्सर जब लोग अपने जीवन के लिए भयभीत होते हैं, तो वे अनन्त काल के बारे में बातचीत करने के लिए तैयार होते हैं। सुसमाचार को सुनाने में साहसी और दयालु बनें, सदैव प्रेम में सत्य बोलें (इफिसियों 4:15)।

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