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प्रश्न

एक सम्प्रदाय और पंथ के बीच क्या भिन्नता है?

उत्तर


शब्द सम्प्रदाय का लेना देना एक "ऐसी विचारधारा" के साथ है, जो कि एक व्यक्तिपरक शब्द में पाई जाती है, अर्थात् जो किसी एक धार्मिक विश्वास या धर्मसंघ के ऊपर लागू हो सकता है, या यह एक झूठी शिक्षाओं में बाँटने वाले समूह का उल्लेख कर सकता है। कभी-कभी, संकेतार्थ 2 पतरस 2:1 में बोली जाने वाली "नाश करनेवाले पाखण्ड" के जैसी अस्वीकृति में से एक होता है, यद्यपि सम्प्रदाय की पहचान करने के लिए कोई कोई संगत या स्वीकृत उदाहरण नहीं पाया जाता हैं।

सभी धर्मों में सम्प्रदाय पाए जाते हैं। इस्लाम में सुन्नी और शिया हैं, यहूदी धर्म में रूढ़िवादी और केराईत हैं, हिन्दू धर्म में शिववादी और शक्तिवादी है, और मसीहियत में बैपटिस्ट और लूथरनवादी हैं। धार्मिक सम्प्रदायों के ये सभी उदाहरण हैं, और उन्हें विभिन्न धर्मों की "शाखाओं" के रूप में माना जा सकता है। अर्थशास्त्रियों के बीच में पूंजीपतियों और समाजवादियों, या मनोचिकित्सकों के बीच फ्राईडवादी और जुंगियनवादी जैसे गैर-धार्मिक सम्प्रदाय भी पाए जाते हैं।

इसके विपरीत, शब्द पंथ सदैव एक नकारात्मक अर्थ को लिए हुए है। पंथ अर्थात् झूठी शिक्षा का पालन करने वाले समूह की पहचान करने के लिए विशेष मापदण्डों का उपयोग किया जाता है। कम्बेटिंग कल्ट माइंड कंट्रोल अर्थात् झूठी शिक्षा के द्वारा मन को नियन्त्रण करने के प्रति युद्ध नामक पुस्तक में, मन की अवस्था को परिवर्तित करने के लिए दी जाने वाली शिक्षा के शिक्षक स्टीवन हासन ने कुछ बातों को उद्धृत किया है, जिन्हें वह "विनाशकारी पंथों" के रूप में सन्दर्भित करते हैं, जिसे एक व्यक्ति या व्यक्ति के समूह के साथ एक पिरामिड के आकार के सत्तावादी शासन के रूप में परिभाषित किया गया है, जिसमें तानाशाही का नियन्त्रण होता है। यह नए सदस्यों की भर्ती करने में धोखाधड़ी का उपयोग करता है (उदाहरण के लिए लोगों को स्पष्ट रूप से नहीं बताया जाता है कि समूह क्या है, समूह वास्तव में क्या मानता है और यदि वे सदस्य बन जाते हैं, तो उनसे क्या अपेक्षा की जाएगी)।" हासन साथ ही सही रीति से बताते हैं कि पंथ न केवल धार्मिक होते हैं; वे साथ अपने स्वभाव में व्यापारिक या सांसारिक भी हो सकते हैं।

हासन मन का नियन्त्रण का उपयोग करने के लिए विनाशकारी पंथों के द्वारा उपयोग किए जाने वाले घटकों का वर्णन करता है:

व्यवहार पर नियन्त्रण: एक व्यक्ति का साथियों, रहने की व्यवस्था, भोजन, कपड़े, सोने की आदतें, वित्त, इत्यादि, कठोरता से नियन्त्रित होते हैं।

सूचना पर नियन्त्रण: पंथों के अगुवे जानबूझकर जानकारी को रोक देते या विकृत कर देते हैं, झूठ बोलते हैं, प्रचार करते हैं, और जानकारी के अन्य स्रोतों तक पहुँच को सीमित कर देते हैं।

विचार पर नियन्त्रण: पंथ के अगुवे भारी शब्दों और भाषा का उपयोग करते हैं, आलोचनात्मक सोच को हतोत्साहित करते हैं, पंथ के अगुवों या नीतियों के प्रति किसी भी तरह की बात को करने से मना कर देते, और "हमें बनाम उन्हें" के सिद्धान्त पर आधारित शिक्षा को देते हैं।

भावनात्मक नियन्त्रण: अगुवे अपने अनुयायियों को आत्म दोष, और प्रवचन (जिसमें उद्धार खोने के भय, छोड़ दिए जाने का भय इत्यादि सम्मिलित होता) के द्वारा भयभीत रखते हैं।

मसीही दृष्टिकोण अनुसार, एक पंथ कोई भी ऐसा समूह होता है, जो ऐसी शिक्षाओं का पालन करता है, जो रूढ़िवादी मसीही सिद्धान्त का विरोधाभासी होती हैं और पाखण्डी को बढ़ावा देती हैं। इस परिभाषा के अधीन, वॉचटावर सोसाइटी (यहोवा के गवाह) और लेटर-डे सेन्ट (मॉर्मन) दोनों पंथ अर्थात् झूठी शिक्षाओं को मानने वाले समूह हैं।

क्योंकि सभी पंथों को तुरन्त इस तरह की मान्यता नहीं दी जाती है, और कुछ लोग आसानी से सम्प्रदायों या धर्मसम्प्रदायों की तुलना में पंथो के द्वारा भ्रमित हो सकते हैं, इसलिए प्रेरितों के काम 17:11 में बिरीया के लोगों के उदाहरण का पालन करना अति महत्वपूर्ण है: "अब बिरीया के लोगों... ने बड़ी लालसा से वचन ग्रहण किया, और प्रतिदिन पवित्रशास्त्रों में ढूँढ़ते रहे कि ये बातें योंही हैं कि नहीं।" किसी समूह के प्रति समर्पित होने से पहले सदैव एक समूह की मान्यताओं की शोध करें, बाइबल के प्रकाश में उनके व्यवहार और सिद्धान्तों की जाँच करें, और उपरोक्त सूचीबद्ध किए गए बिन्दुओं के आलोक में सावधान रहें। सदस्यों से बात करें, परन्तु उनके द्वारा मजबूर कर दिए जाने वाली बातों को इन्कार करें। महत्वपूर्ण बात यह है कि यदि कुछ सही नहीं लगता है, तो उसे न करो।

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