प्रश्न
क्या परमेश्वर मसीहियों के द्वारा मतदान किए जाने की अपेक्षा करता है?
उत्तर
हमारा तर्क यह है, कि मतदान करना और उन मसीही अगुवों को वोट देना जो मसीही सिद्धान्तों को बढ़ावा देते हैं, प्रत्येक मसीही विश्वासी का कर्तव्य है। निश्चित है, कि परमेश्वर का नियंत्रण सब कुछ के ऊपर है, परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है, कि हमें उसकी इच्छा को आगे बढ़ाने के लिए कुछ नहीं करना चाहिए। हमें हमारे अगुवों के लिए प्रार्थना करने का आदेश दिया गया है (1 तीमुथियुस 2:1-4)। राजनीति और नेतृत्व के संदर्भों में, पवित्र शास्त्र में ऐसे प्रमाण पाए जाते हैं, कि परमेश्वर कई बार नेतृत्वपन के प्रति हमारे निणयों को लेकर अप्रसन्न होता है (होशे 8:4)। इस संसार में प्रत्येक स्थान पर पाप की व्यापकता के प्रमाण पाए जाते हैं। पृथ्वी पर पीड़ा की अधिकता के होने का कारण भक्तिहीन नेतृत्व का होना है (नीतिवचन 28:12)। पवित्र शास्त्र मसीही विश्वासियों को तब तक वैध अधिकारियों की आज्ञा पालन का निर्देश देता है, जब तक वे प्रभु के आदेशों के विरोधभासी नहीं हैं (प्रेरितों के काम 5:27-29; रोमियों 13:1-7)। नए-जन्मे हुए विश्वासी होने के नाते, हमें ऐसे अगुवों को चुनने का प्रयास करना चाहिए, जो स्वयं में हमारे सृष्टिकर्ता के द्वारा मार्गदर्शित हों (1 शमूएल 12:13-25)। ऐसे प्रार्थी या प्रस्तावक जो बाइबल के आदेशों को अपने जीवन, परिवार, विवाह या विश्वास के द्वारा अवहेलना करते हैं, का कभी भी समर्थन नहीं किया जाना चाहिए (नीतिवचन 14:34)। मसीहियों को प्रार्थना और दोनों अर्थात् परमेश्वर के वचन और बैलेट पेपर के ऊपर दिए हुए नेताओं की वास्तविकताओं को अध्ययन करते हुए वोट देना चाहिए।
इस संसार के बहुत से देशों में मसीहियों को सताया और उत्पीड़ित किया जाता है। वे सरकार की अधीनता में दु:ख उठाते हैं, क्योंकि वे ऐसी सरकारों को हटाने में शक्तिहीन हैं, जो उनके विश्वास के साथ घृणा करती हैं और उनकी आवाजों को चुप करा देती हैं। वहाँ पर विश्वासी अपने जीवनों को खतरे में डालते हुए यीशु मसीह के सुसमाचार का प्रचार करते हैं। अमेरिका में, मसीही विश्वासियों को बोलने के अधिकार और अपने नेताओं को उनके और उनके परिवारों से डरे बिना चुनने का अधिकार है। अमेरिका में, अभी हाल ही चुनावों में, 5 में लगभग 2 स्व-घोषित मसीही विश्वासी ने वोट देने के अधिकार को अर्थहीन समझा और वोट नहीं डाला है। यहाँ तक कि लगभग 5 में 1 स्व-घोषित, मसीही विश्वासी ने तो स्वयं को वोट देने के लिए पंजीकृत भी नहीं किया।
हमारे आज के दिनों और युग में ऐसे बहुत से लोग हैं, जो मसीह के नाम और उसके सन्देश को सार्वजनिक स्थानों से पूर्ण रीति से हटा देना चाहते हैं। मतदान परमेश्वर केन्द्रित सरकार को बनाए रखने, बढ़ावा देने और सुरक्षित रखने के लिए एक अवसर है। इस अवसर को अनदेखा करना ऐसे लोगों को सामने आने का अवसर प्रदान करना है, जो मसीह के नाम की निन्दा करते हैं। जिन अगुवों को हम चुनते हैं - या जिन्हें हम नहीं हटाते हैं - उनका हमारी स्वतंत्रता के ऊपर बहुत गहरा प्रभाव होता है। वह हमारे द्वारा आराधना करने के अधिकार और सुसमाचार के फैलाव में हमें सुरक्षा प्रदान करना चुन सकते हैं, या फिर इन अधिकारों के ऊपर प्रतिबन्ध लगा सकते हैं। वे हमारे देश को धार्मिकता की ओर या फिर नैतिक पतन की ओर ले जा सकते हैं। मसीही विश्वासी होने के नाते, हमें हमारे नागरिक कर्तव्यों को पूर्ण करने के लिए उठ खड़ा होना और इसके प्रति दिए हुए आदेश का पालन करना चाहिए (मत्ती 22:21)।
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क्या परमेश्वर मसीहियों के द्वारा मतदान किए जाने की अपेक्षा करता है?