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प्रश्न

सिय्योनवाद/मसीही सिय्योनवाद क्या है?

उत्तर


ज़ाएननिज़्म अर्थात् सिय्योनवाद साधारण रूप में अपने जन्म से ही केवल एक राजनीतिक आन्दोलन है, तथापि यह आज किसी भी अन्य बात की तुलना में एक विचारधारा अधिक हो गया है। सिय्योनवाद यहूदी धर्म के इब्रानी शास्त्रों के अधिकार को बनाए रखते हुए, शास्त्र के अधिकार का उपयोग करते हुए यहूदी लोगों का इस्राएल की भूमि पर वापस लौटने के लिए यह एक अन्तर्राष्ट्रीय आन्दोलन है। उत्पत्ति अध्याय 12 और 15 में सिय्योनवाद की नींव पाई जाती है, जिसमें परमेश्‍वर ने अब्राहम के साथ एक वाचा को बाँधा था, जो उस से यह प्रतिज्ञा करती है कि उसका वंश मिस्र और फ़रात नदी के मध्य की भूमि के ऊपर वास करने के अधिकार को प्राप्त करेगा।

इस तथ्य के कारण सिय्योनवाद का आरम्भ एक राजनीतिक आन्दोलन के रूप में हुआ था, इसमें धार्मिक अन्यजातियों और गैर-धार्मिक यहूदियों में ऐसे एक विचारधारा वाले लोग भी विद्यमान हैं, जिनकी यह सोच है कि यहूदियों की धार्मिक पृष्ठभूमि का सिय्योनवाद से कुछ लेना देना नहीं है। यह तर्क दिया जाता है कि सिय्योनवाद विश्‍व के युद्धों — 1 और — 2 के समय यहूदियों के ऊपर हुए सताव के कारण यहूदी लोगों की प्रतिक्रिया है। कोई भी राष्ट्र उन्हें अपने यहाँ रहने के लिए स्थान नहीं दे रहा था, इसलिए वे अपने ही देश को निर्मित करने के लिए मजबूर हो गए, इसके लिए उनके पूर्वजों की भूमि सबसे उपयुक्त स्थान है।

चाहे कुछ भी क्यों न हो, 1879 के उत्तरार्ध में आरम्भ हुए सिय्योनवादी आन्दोलन ने अपनी पूर्णता को 1948 में तब प्राप्त किया, जब संयुक्त राष्ट्र के द्वारा इस्राएल को आधिकारिक तौर पर एक देश के रूप में मान्यता दे दी गई और फिलिस्तीन के भीतर ही एक राष्ट्र के रूप में सम्प्रभुता प्रदान कर दी गई। यह तब का समय था, जब तकनीकी रूप से, राजनीतिक सिय्योनवादी आन्दोलन समाप्त हो गया और सिय्योनवाद की विचारधारा का आरम्भ हुआ, और तब से ही यह एक सबसे अधिक — चर्चा का विषय बन गया है। कुछ लोग कहते हैं कि सिय्योनवाद नस्लवाद के लिए प्रेरणा बन गया है, या यहूदी — विरोधी वाद के प्रति एक प्रतिक्रिया है। अन्यों की मान्यता है कि सिय्योनवाद वर्तमान में केवल यहूदी देशभक्ति के कारण ही अस्तित्व में है।

यहूदी सिय्योनवाद के साथ ही सम्बद्ध मसीही सिय्योनवाद है। मसीही सिय्योनवाद साधारण रूप में यहूदी सिय्योनवाद के प्रति बाइबल में पाई जाने वाली इस्राएल को दी हुई प्रतिज्ञाओं जैसे कि यिर्मयाह 32 और यहेजकेल 34 के ऊपर आधारित अन्यजातियों का समर्थन है। मसीही सिय्योनवादी मुख्यतः इवैन्जेलिकल अर्थात् सुसमाचारवादी हैं और इस्राएल के यहूदी देश को किसी भी सम्भव तरीके से समर्थन देते हैं। प्रतिज्ञा किए हुए देश में यहूदियों की वापसी की भविष्यद्वाणी की पूर्णता और इसे विशेष रूप से जैसा कि युगवादियों के द्वारा एक संकेत के रूप में देखा गया है कि संसार ने अन्त के समय में प्रवेश कर लिया है।

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