प्रश्न
मैं कैसे बचाया जा सकता हूँ?
उत्तर
यह साधारण, परन्तु फिर भी, बहुत से महत्वपूर्ण प्रश्नों से प्रसिद्ध प्रश्न है जिसे पूछा जाता है। "मैं कैसे बचाया जा सकता हूँ?" प्रश्न का लेन देन इससे है कि इस संसार के हमारे इस जीवन के समाप्त होने के पश्चात् अनन्तकाल के जीवन को कहाँ पर व्यतीत करेगें। अपने अनन्तकालीन गंत्वय से अधिक महत्वपूर्ण और कोई भी विषय नहीं हो सकता है। धन्यवाद सहित, बाइबल बहुतायत के साथ इस पर स्पष्ट है कि कैसे एक व्यक्ति बचाया जा सकता है। फिलिप्पी की जेल के दरोगे ने पौलुस और सीलास से यह पूछा था कि "हे सज्जनों, उद्धार पाने के लिए मैं क्या करूँ?" (प्ररितों के काम 16:30)। पौलुस और सीलान ने उत्तर दिया था कि, "प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास कर, तो तू और तेरा घराना उद्धार पाएगा (प्रेरितों का काम" 16:31)।
मैं कैसे बचाया जा सकता हूँ? मुझे बचाए जाने की क्यों आवश्यकता है?
हम सभी अभी भी पाप से संक्रमित हैं (रोमियों 3:23)। हम पाप के साथ जन्म लेते हैं (भजन संहिता 51:5), और हम सभी व्यक्तिगत् रूप से पाप करने का चुनाव करते हैं (सभोपदेशक 7:20; 1 यूहन्ना 1:8)। पाप है जो हमें उद्धार रहित कर देता है। पाप ही है जो हमें परमेश्वर से अलग कर देता है। पाप ही है जो हमें अनन्तकालीन विनाश के मार्ग पर ले गया है।
मैं कैसे बचाया जा सकता हूँ? किस से बचाया जाऊँ?
हमारे पापों के कारण, हम सभी मृत्यु पाने के योग्य हैं (रोमियों 6:23)। जबकि पाप के शारीरिक परिणाम शारीरिक मृत्यु है, परन्तु यही केवल एक तरह की मृत्यु नहीं है जो कि पाप का परिणाम है। सभी पाप आखिर में एक अनन्तकालीन और असीमित परमेश्वर के विरूद्ध किए जाते हैं (भजन संहिता 51:4)। इसी कारण से, हमारे पापों के लिए न्यायसंगत जुर्माना अनन्ताकालीन और असीमित होना चाहिए। हमें अनन्तकालीन विनाश से बचाए जाने के लिए किसकी आवश्यकता है (मत्ती 25:46; प्रकाशितवाक्य 20:15)।
मैं कैसे बचाया जा सकता हूँ? कैसे परमेश्वर ने उद्धार का प्रबन्ध किया है?
क्योंकि पाप के लिए न्यायसंगत जुर्माना असीमित और अनन्तकालीन है, इसलिए केवल परमेश्वर ही जुर्माने को अदा कर सकता है, क्योंकि केवल वही असीमित और अनन्तकालीन है। परन्तु परमेश्वर, अपने ईश्वरीय स्वभाव में, मर नहीं सकता था। इसलिए परमेश्वर यीशु मसीह नाम के व्यक्ति मैं एक मनुष्य बन गया। परमेश्वर ने मानवीय शरीर को धारण किया, हमारे मध्य में रहा, और हमें शिक्षा दी। जब लोगों ने उसको और उसके सन्देश को अस्वीकार कर दिया, और उसे मारने की कोशिश की, तो उसने स्वयं की इच्छा से अपने आप को बलिदान के लिए दे देते हुए, क्रूस के ऊपर मरने के लिए दे दिया (यूहन्ना 10:15)। क्योंकि यीशु मसीह मनुष्य था, वह मर सकता था; और क्योंकि यीशु मसीह परमेश्वर था, इसलिए उसकी मृत्यु का मूल्य अनन्तकालीन और असीमित था। यीशु की क्रूस पर मृत्यु हमारे पापों के दण्ड के लिए दिए वाले जुर्माने के लिए सिद्ध और पूर्ण थी (1 यूहन्ना 2:2)। उसने उन परिणामों को अपने ऊपर ले लिया जिसके पात्र हम थे। यीशु का मृतकों में जी उठना यह प्रदर्शित करता है कि उसकी मृत्यु सचमुच में हमारे पापों के लिए पर्याप्त बलिदान थी
मैं कैसे बचाया जा सकता हूँ? मुझे क्या करने की आवश्यकता है?
"प्रभु यीशु में विश्वास कर, और तू बचाया जाएगा" (प्रेरितों के काम 16:31)। परमेश्वर ने पहले से ही हमारे लिए सभी कार्य को कर दिया है। आपको बस उस मुक्ति को जिसे परमेश्वर प्रदान करता है, विश्वास के द्वारा स्वीकार करना है (इफिसियों 2:8-9)। अपने पापों के दण्ड के लिए अदा की गई कीमत के लिए केवल पूरी तरह से यीशु में ही विश्वास करना होगा। उसमें ही भरोसा करना होगा, और आप नाश नहीं होगें (यूहन्ना 3:16)। परमेश्वर आपको मुक्त एक वरदान के रूप में दे रहा है। आपको बस यही कुछ करना है कि आप इसे स्वीकार कर लें। यीशु ही उद्धार का एक मात्र मार्ग है (यूहन्ना 14:6)।
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मैं कैसे बचाया जा सकता हूँ?