सवाल
चार रूहानी तरीके क्या हैं?
जवाब
चार रूहानी तरीके नजात की ख़ुशख़बरी को जो यिसू’ मसीह में ईमान के जरिए हासिल होती है, को सुनाने का एक तरीका है। इस ख़ुशख़बरी की जरूरी जानकारियों को चार चीजों में जानने का एक आसान तरीका है।
चार रूहानी तरीके में से पहला, “ख़ुदा आपसे मोहब्बत करता है और उसके पास आपकी ज़िन्दगी के लिये एक अजीब योजना है।” यूहन्ना 3:16 हमें बताता है कि, “क्यूँके ख़ुदा ने दुनिया से ऐसी मोहब्बत रख्खी के उसने अपना एकलौता बेटा बख़्श दिया, ताके जो कोई उस पर ईमान लाए वह हलाक न हो, बल्के हमेशा की ज़िन्दगी पाए।” यूहन्ना 10:10 हमें यिसू’ के आने की वजह को देती है, “मैं इसलिये आया के वो ज़िन्दगी पाएँ, और कसरत (बहुतायत) से पाएँ।” हमें ख़ुदा की महब्बत से कौन सी बात रोक रही है? कौन सी चीज़ हमें हमेशा की ज़िन्दगी को पाने से दूर रख रही है?
चार रूहानी तरीके में से दूसरा, “इन्सान गुनाह के सबब से सजा का हक़्दार है इसलिए ख़ुदा से अलग है। इसलिये, हम अपनी ज़िन्दगी के लिए ख़ुदा के महब्बत भरे तरीके को नहीं समझ सकते हैं।” रोमियों 3:23 ये ज़ाहिर करता है, “इसलिये के सब ने गुनाह किया है और ख़ुदा के जलाल से महरूम हैं।” रोमियों 6:23 हमें गुनाह की सजा के बारे बताता है, “क्यूँके गुनाह की मज़दूरी तो मौत है।” ख़ुदा ने हमें अपने साथ रिफाकत रखने के लिये बनाया है। लेकिन, इन्सान इस दुनिया में गुनाह को ले आया, और इसलिए वह ख़ुदा से अलग है। हमने उसके साथ उस रिश्ते को खराब कर लिया जिसकी ख़ुदा ने हमसे रखने का हुक्म दिया था। इससे बचने का तरीका क्या है?
चार रूहानी तरीके में तीसरा, “यिसू’ मसीह ही हमारे गुनाह के लिए ख़ुदा की ओर से सिर्फ़ एक जरीया है। यिसू’ मसीह के जरीये, हम अपने गुनाहों की मु’आफ़ी हासिल कर सकते हैं और ख़ुदा के साथ ठीक रिश्ता बना सकते हैं।” (रोमियों 5:8) हमें बताता है कि, “लेकिन ख़ुदा अपनी मोहब्बत की ख़ूबी हम पर यूँ ज़ाहिर करता है के जब हम गुनहगार ही थे तो मसीह हमारे ख़ातिर मुआ।” (1कुरिन्थियों 15:3-4) हमें बचाए जाने के लिए क्या जानने और ईमान लाने की ज़रूरत को बताया गया है, “...कि किताब-ए-मुकद्दस या’नी कि बाइबल के मुताबिक़ हमारे गुनाहों के लिए मुआ, और दफ़्न हुए, और तीसरे दिन जी उठे,...” यूहन्ना 14:6 में यिसू’ खुद ये एलान करते है कि वे ही नजात के लिए राह है, “राह और हक़ और ज़िन्दगी मैं ही हूँ, बिना मेरे वसीले के बग़ैर कोई बाप के पास नहीं आता।” मैं कैसे नजात के इस तौहफे को हासिल कर सकता हूँ?
चार रूहानी तरीके में चौथा, “नजात के तौहफे को हासिल करने के लिए हमें हमारे ईमान को यिसू’ मसीह में उन्हें अपना नजातदहिन्दे मानते हुए रखना चाहिए और अपनी ज़िन्दगी के लिए ख़ुदा के मनसूबों को जानना चाहिए।” यूहन्ना 1:12 हमारे लिए ऐसे बताया गया है, “लेकिन जितनों ने उसे क़ुबूल किया, उसने उन्हें ख़ुदा के फ़र्जन्द बनने का हक़ बख़्शा”। रसूलों के आ’माल 16:31 साफ तरीके से यह कहती है कि, “ख़ुदावन्द यिसू’ मसीह पर ईमान ला, तो तू और तेरा घराना नजात पाएगा।” हम सिर्फ़ फ़ज़्ल से, और सिर्फ़ यिसू’ मसीह में ही, ईमान लाने के जरिए बचाए जा सकते हैं (इफ़िसियों 2:8-9)।
अगर आप नजातदहिन्दे के शक्ल में यिसू’ मसीह में ईमान लाते हैं, तो इन अल्फ़ाजों को ख़ुदा से कहें। इन अल्फ़ाज़ों के कहने से आपकी नजात नहीं हो सकती है, सिर्फ़ यिसू’ में ईमान ही है जो आपको आपके गुनाहों से बचा सकता है। यह दुआ उसमें अपने ईमान को ज़ाहिर करने और आपके लिए नजात का जरिया बनने के लिए शुक्रिया अदा करने का एक तरीका है। “ऐ, ख़ुदावन्द, मैं जानता हूँ कि मैंने आप के खिलाफ़ गुनाह किया है, और मैं सजा का हक़्दार हूँ। लेकिन यिसू’ मसीह ने उस सजा को अपने ऊपर ले लिये जिसके लायक मैं था ताकि उसमें ईमान लाने के जरिए मैं मु’आफ़ किया जा सकूँ। मैं नजात के लिए आप पे अपने ईमान को रखता हूँ। आपके फ़ज़्ल और मु’आफ़ी - जो हमेशा की ज़िन्दगी का तोहफ़ा है, के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ! आमीन!”
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