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सवाल

क्या आप ने मु’आफ़ी हासिल की है? मैं ख़ुदा से कैसे मु’आफ़ी हासिल कर सकता हूँ?

जवाब


रसूलों के आ’माल 13:38 एलान करता है कि, “पस ऐ भाइयो, तुम्हें मा’लूम हो के उसी के वसीले से तुम को गुनाहों की मु’आफ़ी की ख़बर दी जाती।”

मु’आफ़ी क्या है और मुझे इसकी ज़रूरत क्यों है?

लफ्ज़ “मु’आफ़” का मतलब तख़्ती को पोंछ कर साफ करना, माफ़ करना, उधार को ख़त्म कर दिया जाना है। जब हम किसी के लिए कुछ गलत करते हैं, तो हम उससे मु’आफ़ी हासिल करने की कोशिश करते हैं ताकि हमारे रिश्ते फ़िर से ठीक हो जाए। मु’आफ़ी इसलिए हासिल नहीं की जाती है क्यूँके कोई शख़्स मु’आफ़ी के लाइक़ है। कोई भी इन्सान मु’आफ़ी के लाइक़ नहीं है। मु’आफ़ी महब्बत, रहमत और फ़ज़्ल का एक काम है। मु’आफ़ी एक इन्सान के खिलाफ़ कुछ भी पकड़े रखने के लिए एक फैसला है चाहे आपके लिए कुछ भी क्यों न किया हो।

किताब-ए-मुक़द्दस या’नी कि बाइबल हमें बताती है कि हम सबको ख़ुदा से मु’आफ़ी हासिल करने की ज़रूरत है हम सभी ने गुनाह किया है। वा’इज़ (या’नी कि सभोपदेशक) 7:20 एलान करता है कि, “क्यूँके ज़मीन पर ऐसा कोई रास्तबाज़ इन्सान नहीं के नेकी ही करें और जिससे ख़ता न हुई हो।” 1 यूहन्ना 1:8 कहता है, “अगर हम कहें के हम बेगुनाह हैं तो अपने आपको फ़रेब देते हैं, और हम में सच्चाई नहीं।” सारे गुनाह आख़िरकार ख़ुदा के खिलाफ़ का एक काम है ज़बूर (या’नी कि भजन संहिता) 51:4। इसका मतलब, हमें ख़ुदा की मु’आफी की बहुत ही ज़रूरत है। यदि हमारे गुनाह मु’आफ़ नहीं हुए, तो हम गुनाहों के खातिर हमेशा के लिए दोज़ख़ में तड़पते रहेंगे (मत्ती 25:46, यूहन्ना 3:36)।

मु’आफ़ी – मैं यह कैसे हासिल कर सकता हूँ?

शुक्र है कि, ख़ुदा मोहब्बती और रहम दिल है- वो हमारे गुनाहों को मु’आफ़ करने के लिए हमेशा तैयार है! 2 पतरस 3:9 हमें बताता है कि, “...बल्के तुम्हारे बारे में तहम्मुल करता है, इसलिए के किसी की हलाकत नहीं चाहता बल्के ये चाहता है के सबकी तौबा तक नौबत पहुँचे।” ख़ुदा हमें मु’आफ़ करने की चाह रखता है, इसलिये उसने हमारे लिए मु’आफ़ी का रास्ता खोला।

हमारे गुनाहों के लिए तयशुदा सज़ा मौत है। रोमियों 6:23 का शुरूआति हिस्स यह बताता है कि, “क्यूँके गुनाह की मजदूरी तो मौत है ...” हमेशा की मौत ही वह है जिसे हमने अपने गुनाहों के लिए खुद तैयार किया है। ख़ुदा, अपनी मुक्मल मन्सुबे के तहत, इन्सान- यिसू’ मसीह (यूहन्ना 1:1-14) बने। यिसू’ सलीब पर, उस सज़ा को लेते हुए मरे जिसके हक़्दर हम थे। 2 कुरिन्थियों 5:21 हमें तालिम देता है, “जो गुनाह से वाक़िफ़ न था, उसी को उसने हमारे वास्ते गुनाह ठहराया ताके हम उसमें होकर ख़ुदा की रास्तबाज़ी हो जाएँ।” यिसू’ सलीब पर, उस सज़ा को लेते हुए मरे जिसके लाइक़ हम थे। ख़ुदा की सूरत में, यिसू’ की मौत सारी दुनिया के गुनाहों के लिए मु’आफ़ी का जरिया बना। 1 यूहन्ना 2:2 एलान करता है, “और वुही हमारे गुनाहों का कफ़्फ़ारा है, और न सिर्फ़ हमारे ही गुनाहों का बल्के तमाम दुनिया के गुनाहों का भी।” यिसू’ मुर्दों में से, गुनाह और मौत पर अपनी फ़तेह हासिल करते हुए जी उठे (1 कुरिन्थियों 15:1-28)। ख़ुदा की तारीफ़ हो, यिसू’ की मौत और दोबारा ज़िन्दा होने के जरिए, रोमियों 6:23 का दूसरा भाग सच हो गया, “...मगर ख़ुदा की बख़्शिश हमारे ख़ुदावन्द मसीह यिसू’ में हमेशा की ज़िन्दगी है।”

क्या आप अपने गुनाहों की मु’आफ़ी चाहते हैं? क्या आप अपने गुनाहों से परेशान हैं कि आप इससे मु’आफ़ी नहीं पा सकते हैं? आपके गुनाहों के लिए मु’आफ़ी तैयार है यदि आप नजात दहिन्दे के रूप में यिसू’ मसीह पर अपने ईमान को रखते हैं तो। इफ़िसियों 1:7 कहता है कि, “हम को उसमें उसके ख़ून के वसीले से मख़लसी, या’नी क़ुसूरों की मु’आफ़ी उसके उस फ़ज़्ल की दौलत के मुवाफ़िक़ हासिल है।” यिसू’ ने हमारे लिये हमारा कर्ज चुकाया, ताकि हम मु’आफ़ी हासिल कर सकें। आपको बस इतना करना है कि ख़ुदा पर ईमान लाते हुए दुआ करें कि वह आपको यिसू’ के जरिए मु’आफ़ी दे, क्यूँके यिसू’ हमारी मु’आफ़ी की कीमत चुकाने के लिए मरे - और वे आपको मु’आफ़ कर देगें। यूहन्ना 3:16-17 में यह खुबसूरत ख़ुशख़बरी मिलती है कि, “क्यूँके ख़ुदा ने दुनिया से ऐसी महब्बत रख्खी के उसने अपना इकलौता बेटा बख़्श दिया, ताके जो कोई उस पर ईमान लाए वह हलाक न हो, बल्के हमेशा की ज़िन्दगी पाए। क्यूँके ख़ुदा ने बेटे को दुनिया में इसलिए नहीं भेजा के दुनिया पर सज़ा का हुक्म करे, बल्के इसलिए के दुनिया उसके वासीले से नजात पाए।”

मु’आफ़ी - क्या यह हासिल करना इतना आसान है?

हाँ, यह इतना आसान है! आप ख़ुदा से मु’आफ़ी को कमा नहीं सकते। आप ख़ुदा के जरिए दी गई मु’आफ़ी का कीमत चुका नहीं सकते। आप सिर्फ़ इसे ईमान के जरिए से, ख़ुदा के फ़ज़्ल और रहमत के जरिए हासिल कर सकते हैं, अगर आप यिसू’ मसीह को अपने नजात दहिन्दे के रूप में इक़रार करना चाहते हैं, तो यहाँ पर एक आसान दुआ दी गई है जिसे आप कर सकते हैं। यह दुआ या और कोई दुआ आपको बचा नहीं सकती। सिर्फ़ यिसू’ में ईमान ही है जो आपको गुनाहों से बचा सकता है। यह दुआ उसमें अपने ईमान का इक़रार करने और आपके लिए नजात का इन्तिजाम करने के लिए शुक्रगुज़ारी करने का एक तरीका है। “ऐ, ख़ुदा, मैं जानता हूँ कि मैंने आपके खिलाफ़ गुनाह किया है, और मैं सज़ा का हक़्दार हूँ। लेकिन यिसू’ मसीह ने उस सज़ा को अपने ऊपर ले लिये जिसके लाइक़ मैं था ताकि उसमें ईमान लाने के जरिए मैं मु’आफ़ किया जा सकूँ। मैं नजात के लिए आप पे ईमान लाता हूँ। आपके खास फ़ज़्ल और मु’आफ़ी की - जो हमेशा की ज़िन्दगी का तोहफ़ा है, के लिए मैं आपका शुक्रिया अदा करता हूँ! आमीन।”

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